W1RK: Sujit in Nala
Director: WALA + Kush Badhwar; Cinematographer: Kush Badhwar
Duration: 02:08:07; Aspect Ratio: 1.778:1; Hue: 44.813; Saturation: 0.206; Lightness: 0.005; Volume: 0.267; Cuts per Minute: 6.970; Words per Minute: 44.411
Summary: We in a One Room Kitchen (W1RK) is a collaborative film project that hosts, produces, co-produces and relays conversations. Developed throughout the nine month
Sarai Reader ‘09 exhibition, the project has emerged from the initiators’ engagement with the city through perspectives of history, development, trash, politics and mythology. The resulting version of the film involved shooting/conversing on a river bed of trash in Mankhurd, Mahim Fort, a rooftop of a 28 storey Andheri apartment block, the launch of the Aam Aadmi Party in New Delhi, and the site of Delhi’s announcement as capital on its 101st anniversary.
The project both precedes and draws from the seed of WALA's series of Echo Gatherings which took place throughout 2013, most specifically this
one.
Artist, now also farmer, Sujit Mallick, improvises a sculpture and discusses the space in Mankhurd, Mumbai.
Akansha in autorickshaw
Koperkhairane
Akansha hands in auto
riding in auto
Sujit stamps train coupons
walking on train tracks
Mankhurd
Sujit looks at nala
सुजीत: यहाँ से, पाइप एक उठके पूरा गया है उसके अन्दर - लग रहा है कूड़े से पानी आ रहा है जैसे ऊपर. पूरा गल्ली में घूम के जा रहा है. यहाँ से उठा है, गुच्छा पाइप जो गली में, वह टर्न है, यह गल्ली के अन्दर.
सुजीत: कूड़े के पास रहना से फ़ायदा यह है कुछ भी ट्रैश बछता है उसको फाँकदो उसमें। उसको सँभालने की टेंशन नहीं है.
सुजीत: दूर तक? पानी? यह तोह लग रहा है की बहुत आगे तक है, लम्बा चलरहा है शायद. और यहाँ पे आके यह जैम हो गया है, यह नाला के वजय से यह सारा जैम होगया, हार्ड हो गया है. और कुछ नहीं.
Sujit standing at edge of nala
Sujit stands at edge of nala
Sujit walks down edge of nala
परिबर्तन: अभी फील कर रहे हो कछरा सेठ के तारा?
सुजीत: हाँ. वह तोह आइडेंटिटी बन गया है.
परिबर्तन: मैं ब्रांडिंग हो जायेगा. कछरा का ब्रांड होगा. ब्रांड एम्बेसडर.
सुजीत: ब्रांड एम्बेसडर. कछरा सेठ. नीचे चले?
सुजीत: मैं आगे जाता हूँ.
आकांशा: नहीं रुखजाओ.
Sujit interacts with kid
कुश: स्टाइल का मतलब?
बच्चा: अच्छा कैमरा है.
कुश: ठीक ठीक है. जो है वह है.
परिबर्तन: इसमें करंट लगता है?
सुजीत: ना. इसमें करंट लगता है? तुम इसमें चढ़ते हो? इसमें चढ़के कोई टट्टी करता है अन्दर? सभी पिलर पे भटके करते है? अगर में इधर भटके करू तोह कोई प्रॉब्लम होगा?
बच्चा: बोलेंगे बाजु वाले.
सुजीत: घालदेंगे.
बच्चा: आरती कर रहे क्या?
सुजीत: सही बोल रहे हो, आरती नहीं कर रहे है.
सुजीत: यह टमाटर का पेड़ कैसे उगा है पता है परिबर्तन?
परिबर्तन: टट्टी से.
सुजीत: दल दल है? ना जाओ? अच्छा ठीक है.
बच्चा: एक से एक लोग मरते है.
सुजीत: मरते है? कैसे गिर जाते है अन्दर? कैसे गिर जाते है?
आकांशा: सुजीत तू तोह तेरी टाइप की चीज़ मिल ही जाते है - कभी तलवार, कभी (?)...
सुजीत: आर्किटेक्चर. बिल्डिंग (?).
आकांशा: तोह यह ज़्यादा...
सुजीत: मुंबई में बुर्ज खलीफा से बड़ा हो सकता है, ना, आर्किटेक्चर?
बच्चा: अंकल यह सब फोटो लेके कहाँ दिखाएंगे?
सुजीत: यह कैसा लकड़ी है?
बच्चा: कोयला है.
सुजीत: जोह बचगया, फांकड़िया.
बच्चा: (?). घर कीड़ार है?
सुजीत: घर दिल्ली है.
बच्चा: दिल्ली से अईले?
सुजीत: वहां तोड़ी नहीं कोयला बनता है.
परिबर्तन: कोयला नहीं है. कोयला है?
बच्चा: मछरों को (?).
सुजीत: तुम छूटे नहीं है यह सब चीज़ों को? छूटे नहीं?
बच्चा: हम लोग का गैस है ना, तोह इसकी कई का ज़रुरत?
सुजीत: ज़रुरत नहीं है? इसीलिए फंकडते है.
बच्चा: कौन फांकता मेरको क्या मालूम?
कुश: यह बैग ममता को देदो.
सुजीत: यह बढ़ेगा इतना बाद बाद के, अगर यह अपनेआप बढ़रहा होता, ऐसा कड़े करके, बाद बाद के अपने आप ऊपर चलता.
परिबर्तन: हमारा एक स्टोरी नहीं है...
सुजीत: यह देखो, वह लैट्रिन करने कहाँ से छड्के रास्ता देखो.
बच्चा: ओह (?) भाई...
सुजीत: बिंदास चलरहा है लैट्रिन करने. ब्रिज की तरह यूज़ कर रहा है.
chat with Sujit
आकांशा: कितने साल में यह ऊपर आजायेगा?
सुजीत: कितने साल में यह ऊपर आजायेगा? यह ऊपर नहीं आएगा, इस के ऊपर लास्ट में खाददेंगे, अच्छी तरीका से क्लियर करदेंगे, उसके ऊपर प्लेटफार्म डालदेंगे। यह क्लोज हो जायेगा. यह सब जितना ड्रेन है, ड्रेन बांध हो जायेगा तो कहाँ जायेगा? तोह उसको क्लोज करदेंगे धीरे धीरे, चुप्पादेन्गे, ख़तम तोह होने वाला है नहीं. कीसी भी तरीका से ख़तम होने वाला है नहीं. वह चुप्पजायेगा साला दिखेगा नहीं, वह कहीं पर्टिकुलर साइट रहेगा ट्रैश को देखने के लिए, और वह टूरिस्ट स्पॉट रहेगा. की पूरा सिटी का ट्रैश वहां पे एकटा होगा, और वहां पे टूरिस्ट्स जायेंगे देखने की वहां पे पूरा सिटी का ट्रैश वहीँ पे एकटा है. सिटी के अन्दर हर जगा ना दिखे, एक जगा दिखेगा और वह लवर्स पॉइंट बन जायेगा.
सुजीत: इन लोगो का कितना बढ़िया है की लैट्रिन वत्रिने का कोई ज़रूरत नहीं है, पानी नहीं आया तोह सीधा आये, इधर बाते, काम ख़तम, कुछ भी कूड़ा निखला डायरेक्ट इधर फांकड़िया इसमें। कूड़े वाले कोह देने की ज़रूरत नहीं है...
परिबर्तन: इसमें रहना पड़ता है.
Sujit chats with guy then camera
सुजीत: वहां से कहाँ जाता है फिर?
लड़का: वहां से बौहत दूर पड़ेगा फिर.
सुजीत: और ऐसे ही कुला हर जगा फिर?
लड़का: उसके आगे साफ़ है पूरा.
सुजीत: वहां पे पानी चलता है. आप यहीं रहते हो? आस-पास रहते हो?
लड़का: इधर नहीं रहता हु.
सुजीत: बहार रहते हो?
लड़का: दोस्त लोग रहते है. काम पे जाते है, इसीलिए.
सुजीत: इसमें पानी बड़जात्या है क्या? यह इतना रहता है हमेशा?
लड़का: इतना रहता है. बारिश के टाइम पे भर जाता है कछरा.
सुजीत: यहाँ पे जो रहते है, उनको कुछ प्रॉब्लम होता है जब यह भर जाता है?
लड़का: नहीं होता है. जो रहते है आजु-बाजु में, उनको भास् आती है.
सुजीत: भास् आती है. और तुम जो उसके ऊपर चल के आते हो, दर नहीं लगता है यह जोह डायरेक्ट ऐसे ऐसे...
लड़का: बचपन से चल के आ रहे है.
सुजीत: बचपन से आ रहे हो.
लड़के: कितनी बार गिरगे. केलथे थे. गटर में केलथे थें.
सुजीत: गिरजाते थे गटर में?
लड़का: इधर जुला बांधते थे, बारिश के टाइम में (?)...
सुजीत: (?)
लड़का: यहाँ से (?) डालनेका, बिस-पचीस जन एक ही जुले पे जूलथे थे. तीन-चार जन का सर फूटगया है यहाँ पे. दो-चार जन मरगए।
सुजीत: गिरके?
लड़के: पत्थर है ना. यहाँ पे बांदा थे एक जुला, लेकिन किसी को मालूम नहीं था की पत्तर है. फूटगया सर, मर गए.
सुजीत: यहीं पे गिरके.
सुजीत: जब एक आदमी मरते है, तोह उसके बाद जुला बाढ़थे हो? और नहीं बढ़ते हो उस जगा पे जुला?
लड़का: अभी बचपना गया तोह जुला बाँड्ने का क्या पैदा? बारिश का टाइम, कभी-कबार बांध्ते है.
सुजीत: इसमें से कोई जो कचरा काम करता है, छांड के लेता है, वह नहीं लेते है यहाँ से?
लड़का: एक ही बार साफ़ किया था, अब तीन-चार साल हो गया. अब नहीं करते.
सुजीत: नहीं, गवर्नमेंट नहीं, जैसे प्राइवेट के लोग इकटा करके लेके बेचते है, वह नहीं आते है इधर?
लड़का: कोई नहीं आता. इधर रोज़ का कचरा जाम होता है, क्यूंकि यह आजु-बाजू वाले फ़ेंकदेते है ना. गलती किसकी है, इन्किच है. यह लोग कचरा फेंकदेते है. इनको क्या लगता है की पानी ज़्यादा बहके चला जायेगा ऐसे. (?). कैसे बारिश में ना, वहां का कचरा इधर रुकेगा, यहाँ का कचरा वहां जाके रुकेगा ऐसे.
सुजीत: यहाँ का कचरा आगे पौछता है.
परिबर्तन: कचरा में रहने से सोच बदलता है? कचरा मैं रहने से कोई अच्छा सोच हो सकता है? सोच भी कचरा हो जायेगा?
सुजीत: सोच कचरा जैसा... ना. सोचने-वाले के ऊपर है, की क्या सोचरहा है, कैसे सोचता है. कचरे के सात बौहत लोग रहते है. लेकिन कौन-कैसे सोचता है, उसके ऊपर है ना. सोचने-वाले कौन है, उसके ऊपर देपेंद करता है. क्यूंकि कचरे में जो रहते है, वह तोड़ी ना कचरा जैसे सोचते है. उनमेसे तोह कहीं लोग अलग-अलग काम करते है, अलग-अलग बात करते है...
बच्चा: कचरा सोच का मतलब?
सुजीत: कचरा सोच का मतलब... वैस्ट। जो युसे मैं नहीं आ सकता.
परिबरता: जो प्रोग्रेसिव कनौलेगे जो है, वह शायद यहाँ से नहीं निकलेगा.
सुजीत: यहाँ से क्यों नहीं निलेगा? (?). ऐसे नहीं है की नहीं निकलेगा.
आकांशा: कचरा प्रोग्रेसिव है?
सुजीत: कचरा प्रोग्रेसिव है... ऑब्वियस्ली! वह सिंबल है प्रोग्रेस का. कचरा सिंबल है प्रोग्रेस का. तुम्हारा कितना कचरा प्रोग्रेस हुआ है, वह दिखायेगा तुम्हारा कितना डेवलपमेंट हुआ है. कितना तुम इंफ्रास्ट्रक्चर तुम रेडी किया हो. एक्चुअली वह डेवलपमेंट का... जितना ज़्यादा डेवलपमेंट होगा, उतना अमाउंट बढ़ेगा कचरे का. जितना ज़्यादा मटेरियल कसमे करेंगे, उसका तोह तोडा न तोडा रहेगा.
सुजीत: इसीलिए शायद सिटी में कचरे का पहाड़ दीखते है. क्यूंकि पापुलेशन ज़्यादा है, इंफ्रास्ट्रक्चर ज़्यादा है और कचरे का पहाड़ कोई गाओं में नहीं दिखते। क्यों सिटी में दिखते है कचरे का पहाड़? हर सिटी में क्यों कचरा का ढेर क्यों बड़ा हो जाता है? यहाँ पे कलेक्टिवेली एक जगा एकता होता है, गाओं में वह सब छोटे-छोटे टुकड़ो इधर-उधर अपना-अपना... जितना लैंड में जितने लोग रह रहे है, उसके कपारितावेळी विलेज मैं बौहत कम है. मतलब वन परसेंट लोग... सिटी के मुक़ाबले में विलेज का पापुलेशन उसी स्पेस का वन परसेप्ट होगा. तोह ऑब्वियस्ली वहां पे काम कचरा होगा। इसीलिए.
Paribartan: (?). Something about Kachra Seth, branding.
परिबर्तन: कचरा के सात, काफी लोग काम करते है.
सुजीत: बौहत लोग करते है.
परिबर्तन: अर्बन सिटी का भी एक पार्ट है. ुर्बानीसतिओं का पार्ट है. तुम जो देखते है, तुम्हे क्रिएटिव लगता है? तुम्हे आइडियाज आते है कचरे से?
सुजीत: बौहत आते है. ऑब्वियस्ली क्रिएटिव लगता है खुनकी इसका फॉर्म को देकते इतना फ्लेक्सिबल फॉर्म है इसका, ऑब्वियस्ली उसमे... यह अलग डिपार्टमेंट की तरह काम करता है कचरा, पूरा सिटी में. इसके ऊपर कितने लोग ज़िंदा रहते है. अगर कचरा ख़तम हो जाता, इतने सारे राग-पिक्केर्स से लेके बी. एम्. सी. का कचरा डिपार्टमेंट जो है, कितना लोग का जॉब चला जायेगा. जैसे लिफ्ट इरीगेशन का भी इंडिया में हुआ करता था, और ९०स में उसको बंद कर दिया गया, कितने लाखों -
(?): (?)
सुजीत: लिफ्ट इरीगेशन. जब उड़ीसा में लिफ्ट इरीगेशन बांध हुआ, उस टाइम कितना यह हुआ. वह डिपार्टमेंट के जो एक लाख भेकार होगये, उनके पास काम नहीं रहा, वही... अगर आर्मी बंद होजाये, तोह कितने लोग भेकर हो जायेंगे? वह लोग का क्या करे उसके बाद?
आकांशा: उसकी इकोलॉजी रहेगी सिस्टम की.
परिबर्तन: कचरे का इंडस्ट्री बौहत बड़ी रहेगी...
सुजीत: कचरे का इंडस्ट्री तोह बौहत बड़ा है.
सुजीत: यह बिल्डिंग को कोई फरक नहीं पड़नेवाला इस ड्रेन से या कचरा से. फरक पड़ेगा तोह एक प्लेटफार्म डालडेगा ऊपर इसका. और कुछ नहीं होने वाला उसके सात.
आकांशा: बदबू नहीं आएगा यहाँ से? (?)
सुजीत: बदबू... अभी हम कड़े है, हमें आ रहा है क्या? तोड़ी ढेर बाद लोग अक्विनटेड हो जाते है. हम एंटी देर से कड़े है, हमें कितना बदबू आ रही है? काम से मतलब है.
आकांशा: यह क्या है?
सुजीत: है? आर्किटेक्चर. इतने सारे लाइन है, क्रॉस-क्रॉस लाइन है, उसके अन्दर और एक जॉइंट करदे रहा हु. आर्किटेक्चरल लाइन.
कुश: वह फिर से दाल सकते है पिलर?
Sujit on transmission tower
आकांशा: सुजीत तू नीचे देखेगा नहीं आने वाला टाइम में. तू नीचे देखेगा नहीं.
सुजीत: किसो?
आकांशा: ऊपर हे देखेगा.
सुजीत: हाँ. एक्चुअली इसमें नीचे देखने-वाली बात ही नहीं है की नीचे देखा जाये.
(?)
आकांशा: यहाँ पे तोह यह राजा है.
सुजीत: कहाँ पे? यह?
सुजीत: वह स्टार्ट में अक्विनटेड हो गया. जब पैदा हुए होंगे, उनको पता नहीं होगा की दुनिया में कचरा आएगा, कचरे में से (?) पड़ेगा. वह तोह पानी में से मछली काने वाले थे.
Sujit chats on transmission tower
परिबर्तन: (?) खा रहे है.
सुजीत: नहीं, अब मछली खाना मुश्किल है, मछली कहाँ मिलेगा, इतना कम्पटीशन इंसान भी आ गया है, इंसान के लिए मछली काम पद रहा है और (?).
सुजीत: अरे ऐसे तोड़ी नहीं होता है, जैसे कहते है की मूर सांप का जाता है, पर मूर को सांप कहते वक्त कभी देखा नहीं है, बस स्टोरी में सुना है. अब सांप अगर मर जायेंगे, तोह मूर मर जायेगा क्या? मूर तोह कुछ न कुछ खा के ज़िंदा रहेगा (?). हम जैसे तीन दिन से खा के जी रहे है, क्या है? वादा पाओ.
परिबर्तन: कूड़ा तब भी था, मगर कूड़ा इतना बड़ा आईडिया नहीं था. तोह यह नहीं है की लक्ष्मण जो हमेशा (?) के जूटा खा के रहता था... (?). जो बचजायेगा वह कयेंगे. और गोअन में होता है की ऐसे लोग जो तोडा चावल बचा के और कुत्ता जानवर को देते है. वह भी कूड़ा है. आज-कल वह फ़ेंक देते है, वह भी कूड़ा है ना.
सुजीत: हाँ, जैसे धान का... क्या कहते है उसको... जोई गई को देते है धान का कवर... और स्ट्रॉ...
आकांशा: वह कूड़ा नहीं हुआ ना, जोह पहले से सोच के अलग रखे है...
सुजीत: निकलने से पहले, वह तोह आईडिया बाद में आया होगा जब गई खा रहा है, उनको पता लगा, तब जा के दिया होगा ना. पहले जब पता नहीं होता, तोह तब तक क्या किया होगा उसका?
आकांशा: (?) कोन्सुम्प्शन हुआ जितने सोचा था.
सुजीत: नहीं, अभी हम भी कर रहे है. हमें कूड़ा जैसे दिखरहा है. कूड़ा को हम कोन्सुम कर रहे है. कूड़ा को हम कोन्सुम नहीं कर रहे? कूड़ा बनने के बाद, जब इर्रिटेट किया, तब उसको रीसायकल करने का सोचे, तोह जब धान का इतना (?) स्ट्रॉ निकला, धान का कवर, चावल निकलने के बाद जो कवर रहगया, वह स्टार्टिंग में तोड़ी पता था की इसको गई खा पायगे बहस खा पायेगा. जब इतना सारा हो गया होगा, तब खिलयहोगे. पहले प्रॉब्लम होगा, तब सलूशन आएगा ना।
परिबर्तन: (?).
सुजीत: हम कूड़ा को (?) कसमे करते है. जैसे शादी में बौहत ज़्यादा बच जाता है, उसको लेके, वह अपने लोगो में नहीं बाँट पायगे, अपना कॉलोनी जो होता है, वहां पे नहीं दे पते, बुरा लगता है. वह जा के क्या करते है, तोडा लौ इनकम ग्रुप के कम्युनिटी होता है, वहां पे जाके बाँटदेते है. सेम कम्युनिटी में नहीं बांटपाथे। लेकिन वह कसमे हो जाता है.
परिबर्तन: (?).
आकांशा: सिसीफस (?)...
सुजीत: स्टोन को रोल करके पहाड़ से छोड़ना.
परिबरता: एक नार्मल ह्यूमन बीइंग ट्रैश के सात डील करना, या आर्टिस्ट बनकर डील करना...
सुजीत: बचपन से नार्मल ह्यूमन बन के... क्यों गिराया?
बच्चा: अरे कुढ़ गिरगया.
सुजीत: एक बार मैंने नाइन्थ-टेंथ में, वहां पे इंटेंशन ज़रुरत है, लैट्रिन का कूड़ा, जो सहित है, वह पाटगया था, और हमारा जो हॉस्टल का मतलब हमारा जो किया पे चलता है, बीस बच्चे रहते है और जैसे गद्दे की तारा, ओपन होगया था और लैट्रिन वह पे आ गया था डायरेक्ट. एक बार मेरा बॉल गिरगया, क्रिकेट खेल रहे थे, बॉल गिर गया. और बॉल तोह इम्पोर्टेन्ट है ना. ड्यूस बॉल नया क्रीड़ा था मैंने, सत्तर रूपए देके.
Sujit chats with teenager
सुजीत: पानी घुस गया था घर में?
लड़का २: पूरा भर गया था हम लोग का घर. सब स्टेशन पे भाग गए थे.
सुजीत: सामान-वामन लेके सब. कितना ऊपर तक पानी हो गया था?
लड़का २: अरे इतना तक हो गया था, अन्दर रहके होते भी.
सुजीत: मतलब यह खिड़की तक होगया पानी. तोह सारे के सारे लोग चले गए थे. कितने दिन बाद वापिस आये थे?
लड़का २: दो दिन बाद.
सुजीत: घर को दोबारा साफ़ करना होगा.
लड़का २: सात बजे बरा, सुभे तीन बजे चाल्डिया पूरा पानी.
सुजीत: नुक्सान हुआ होगा उसमे.
लड़का २: बौहत. फ्रिज-विज करब हो गया. किसी का टी.वी. किसी का वाशिंग मशीन.
सुजीत: बिमारी हुआ कुछ उसके बाद?
लड़का २: मालूम नहीं, कितने लोग तोह बहगये...
दोस्त: (?)
लड़का २: लेकिन दूसरा का नुकसान कितना हुआ?
सुजीत: उसके बाद दोबारा पेंट-वाइंट में बौहत खर्चा होगा लोगों का.
लड़का २: बौहत खर्चा हुआ.
सुजीत: दर लगता होगा फिर बाद आने से?
लड़का २: नहीं. पानी भरता है, तब हम तैरते है.
सुजीत: इधर जब कूड़ा नहीं रहता है तब. सब साफ़ हो जाता है.
लड़का २: लाल पानी आता है पूरा.
सुजीत: तब देखने में अच्छा लगता होगा यह.
लड़का २: एकदम अच्छा।
सुजीत: मछली-वाचली आता है इसमें?
लड़का २: बौहत. अरे हम लोग इतना ड्रम-वाम बरके पकड़ते है.
सुजीत: लेकिन कूड़ा में मची नहीं आते है. इस पानी में मछली नहीं होंगे ना?
लड़का २: अन्दर इतनी बड़ी-बड़ी (?) है.
सुजीत: कोई पकड़ था नहीं है?
लड़का २: हम लोग कभी-कबार.
परिबर्तन: दिल्ली कभी गुमने आये है?
लड़का २: नहीं गया अभी.
सुजीत: आने का मंद करता है गुमने?
दोस्त: नहीं आने का.
सुजीत: नहीं आने का...
लड़का २: दिल्ली में क्या है? लाल किला है, बस.
सुजीत: मोन्यूमेंट छोड़के बौहत सारे चीज़ है. मतलब वह पुराने ईमारत को छोड़के, जो नए चीज़ है, वह बौहत है. लाल किला तोह बौहत पुराण हो गया. ४०० साल पहले की है. उससे पहले का भी चीज़ है, अभी का भी चीज़ है. यह कोइन लगाए हो क्या? यह नया कॉइन निखला है, इसीलिए?
लड़का २: अच्छा लगता है ना गले में.
सुजीत: हाँ, २०११ का. २०१२ में २०१२ का कॉइन लटकाओ.
लड़का २: तोह लटकाएगा.
सुजीत: कब लटकाओगे, अब तोह फेब्रुअरी हो गया है.
लड़का २: अभी आएगा तब ही लटकाएगा. मिलेगा तभी. आप के पास होगा तोह दो, में लटकाता हु.
सुजीत: छोटा कॉइन है? २०१२ का है? लेकिन यह कॉइन और यूज़ नहीं हो सकता ना? कोई लेगा नहीं उसको. अच्छा इसमें साबुन लगाके. छेद कैसे किया इसमें?
लड़का २: ड्रिल मशीन से.
सुजीत: अच्छा लग रहा है. एक (?), एक क्रॉस. क्रिस्चियन हो? अच्छा लगता है, इसीलिए पहने है? स्टाइल से. तुम्हारे बाल लेकिन बढ़िया है.
लड़का २: इरविंग किया है उसके बाल को. आप भी करलो.
सुजीत: नहीं मैं पहले ऐसे करता था, अब मैं ऐसे छोड़ दिया. इतना पैसे खर्चा होता है न उसमे.
लड़का २: लेकिन अच्छा दिकथा है ना.
सुजीत: ऐसा अच्छा नहीं दीखता?
लड़का २: क्या भंगार दिखरहा है. देखो हमारा गटर में टमाटर आता है. आपके गट्ठर में आता है क्या टमाटर?
सुजीत: हाँ टमाटर जहाँ लैट्रिन करेंगे वहां आएगा. यह गट्टर से नहीं आया. यहाँ पे जो पॉटी कर के गए जो लोग, ऊनि से आया है. इसको तोड़ के लोग काटे है लेकिन?
लड़का २: काटे है, कभी-कबार काटे है.
सुजीत: हमारा भाईजान भी आता है, तुम्हारा भाईजान भी आता है क्या?
लड़का २: भाईजान हमारा जंगली अाता है. देखो...
सुजीत: नहीं नहीं, पॉटी से भैंगान आता है क्या?
लड़का २: पॉटी से तोह सब कुछ आता है. (?) कैसे बनता है? बकरी का संडास से ही बनता है.
सुजीत: गई का भी, बहस का भी बनता है.
लड़का २: मतलब जानवर का बनता है.
सुजीत: इंसान से भी बनता है. जानते हो कल्कुत्ता में जितना केथी होता है सब्जी का सारा इंसान का पॉटी से ही होता है. छे महीना उसको सूखते है, वह बनजाता है कांड, फिर उसको डालते है, और इंसान का खाद सब से अच्छा कांड है. जानवरों के पॉटी से.
लड़का २: ऐसे है क्या?
...
सुजीत: दौड़ के चले जायेंगे? गिरने का दर नहीं लगता.
लड़का २: इसमें से चलते चलते जाते है.
सुजीत: हाँ अभी तोह देखा। वह दौड़ दौड़ के जो आ रहा था, पानी का बाल्टी लेके.
सुजीत: ऊपर से? वह बाँदा जो बेहटा था. वह भाग सकता है इस्पे. यह जगह का नाम क्या है?
लड़का २: सोनापुर.
सुजीत: इसमें कितने लोग रेथे होंगे?
दोस्त: मानखुर्द, सोनापुर जैन-नगर.
सुजीत: इन लोग का कूड़ा सुब यहीं में दाल देहते हो न? जिसका घर पीछे है वह लोगों के घर के अन्दर से डालता है?
लड़का २: गल्ली-वाली है ना.
सुजीत: और पानी कहाँ से आता है?
लड़का २: सप्लाई पानी वहां से आता है.
सुजीत: यह जो सारे पाइप लगे है, यह क्या पाइप है?
लड़का २: पानी का पाइप है.
सुजीत: अच्छा वह जोह पानी का पाइप से ऊपर कैसे टट्टी करते है? साइड में जाके बच्चे करते है? उसमे लैट्रिन है?
लड़का २: हाँ सब के घर में.
सुजीत: फिर क्यों बहार करते है?
लड़का २: बाथरूम नहीं है ना. घर के अन्दर करेंगे क्या?
सुजीत: वह में पूछ रहा हूँ. घर के अन्दर है की नहीं?
...
लड़का २: वह मेरा है. (?). बीस-पचीस साल से.
सुजीत: उस से पहले?
लड़का २: गाओं में.
सुजीत: गाओं कहाँ है तुम्हारा?
लड़का २: (?) नादेड.
सुजीत: कौनसा स्टेट में आता है?
trash cutaway
Sujit walks in distance
looking for Sujit
Sujit in nala
walking along edge
Sujit in nala
दर्शक: अरे जा अपने देश में.
walk along edge and request to Sujit
सुजीत: आप वापिस अन्दर आ जाये. मुझे वह एंट्री का वह लेना है.
Sujit entry into nala
दर्शक: भाइये, उधर कुछ भी नहीं है, जाओ.
Sujit making in nala
दर्शक: हमारे यहाँ सांप बौहत आते थे.
सुजीत: कपडा दे दो।
कुश: टाइम क्या हुआ है?
दर्शक: ग्यारा बजे.
कुश: सुजीत, रिफ्लेक्शन जो आ रहा है... उधर से दिख रहा है?
सुजीत: बैक से आ रहा है.
कुश: मुझे दिख रहा है. वहां पे करेंगे तोह अच्छा दिखेगा.
Sujit in nala from entry hole
Sujit making in nala
कुश: खोल के देना और बस उधर रख दो.
?
दर्शक: मंदिर बना रहे है, भगवन का. भगवन आने वाला है.
दर्शक २: (?).
दर्शक: यह क्या है भाई?
दर्शक २: यह क्या है भाई?
सुजीत: यह? यह एक नया मिसाइल.
दर्शक २: क्या है वह?
सुजीत: मिसाइल। मिसिल्ले जो नहीं छोड़थे? जब युद्ध लगता है, टैंक से जो छोड़ते है. दुसरे यह में गिरता है.
बच्चा: राकेट है.
सुजीत: राकेट है. सही बताइए.
दर्शक २: उड़ने वाला है, सोनपुर में से सब भाग जाओ.
सुजीत: इतना पपॉलीथीन है, यह घुस ही नहीं रहा.
दर्शक: यह उड़ेगा?
सुजीत: कल सुभे उड़ जायेगा.
दर्शक: (?)
सुजीत: वही थो, कोई नहीं देख पाएंगे. सब उड़ के जायेगा, सबको आने से पहले.
tilt down pole
Sujit making in nala
दर्शक: (?)
सुजीत: हो नहीं परहाहै.
बच्चा १: बाहेर गेला।
बच्चा २: रात्रि पडूँ गेला (?) पोलिस गाडी (?) गोंवाला गेला.
बच्चा १: शाळात गेला शाळात.
बच्चा २: शनिवार (?).
tilt up pole
wide of nala
कुश: आकांशा क्या कर रही है?
परिबर्तन: (?).
कुश: और सोच रहे है कुछ बात की?
परिबर्तन: (?).
दर्शक: (?)
कुश: नहीं, यह तोह स्मार्ट लग रहा है.
दर्शक: सब से स्मार्ट वह जो कड़ा है छोटा वाला.
कुश: लाल.
दर्शक: उसको बोलो टावर में चढ़ जाये.
कुश: हाँ वह दिखा.
दर्शक: रास्ता (?). (इसके सात) क्या करेंगे सर?
कुश: यह आर्ट स्टूडेंट है दिल्ली के, तोह हम कचरे के ऊपर रिसर्च कर रह है. (?).
दर्शक २: (?)... २, ४ आये है फोरेनर लोग. (?) स्टैंड. इसके जैसे था, मगर बड़ा. पूरा शूटिंग निकाला. जिसको इंग्लिश आता ता, उनके सात ही बात चित करने का. पोलिस वाले भी आये थे. साफ़ सफिये होती है लेकिन फिर भी ऐसे हो जाता है.
कुश: यह तोह सब शहर में होता है.
दर्शक: (?).
tilt up to wide of nala
दर्शक: इंसान नहीं रेथे तोह कछरा नहीं रहता. कछरा नहीं रहता तोह (?). (?) भी नहीं.
wide of nala to following Sujit
सुजीत: यह लोग बोल रहे है, यह लोग अभी सिखलिया ऐसे खेलना, अभी बनाएंगे ऐसा. लेकिन उनको पता नहीं था की ऐसे हो सकता है, अब कुढ़ बनके खेलेंगे ऐसा.
बच्चा: आपकी जाट कौनसी है?
सुजीत: जाट मतलब?
बच्चा २: आपकी कौनसी भाषा है?
सुजीत: भाषा हिंदी है.
बच्चा: जाट (?)
सुजीत: जाट?
बच्चा: भया है, गुजराती है क्या?
कुश: उड़ीसा.
सुजीत: उड़ीसा से है हम.
बच्चा २: मेरा एक दोस्त है, वह भी उड़ीसा से है.
सुजीत: क्या भाषा में बात करता हु? मैं तीन भाषा में बात करता हु. हिंदी, इंग्लिश, ओड़िया. यह लोग कहाँ पे? आये नहीं वापिस?
कुश: इधर ही है.
सुजीत: मैं निकलू यहाँ से?
कुश: नाम क्या है तेरा?
सुजीत: वीपी। लेकिन यहाँ पे बोलते है दान... क्या बोलते है?
डांटिए भाई: डांटिए भाई.
सुजीत: डांटिए भाई. अच्छा लगा (?)... करिओसिटी जो होता है उनके अन्दर, कुछ नया सिखने के लिए...
कुश: हाँ ठीक है.
सुजीत: आकांशा (?), यह याद रखना। तुम्हारे राइट में मैं हूँ, तुम्हारे लेफ्ट में परिबर्तन. हर बार.
setting up conversation with Sujit
सुजीत: (?) सिगरेट.
सुजीत: (?)
परिबर्तन: (?)
कुश: एक्चुअली, वह जो पास में था, वह अच्छा लग रहा था.
परिबर्तन: उसके चौ के नीचे बैठजाओ.
conversation with Sujit
आकांशा: एह सुजीत.
परिबर्तन: जहाँ पे बनाया, वह कहरहे थे की टेम्पल बनाया.
कुश: एक सेकंड मैं लास्ट (?)...
आकांशा: एसेंशन की बात ही करते है (?)...
परिबर्तन: वही जो पूछ रहेथे, भगवन (?) उतरेंगे, (?) कछरा से.
सुजीत: भगवन तोह उतरेंगे ही. भगवन उतरेंगे, लेकिन अलग फॉर्म में, जैसे यह बच्चा बोल रहा था की हमने यहाँ से सीकलिया... मतलब हमें यहाँ से पता लगा की ऐसे भी खेल सकते है. तोह वह बोल रहे है की वह ऐसे भी बनाएंगे. तोह भगवन ऐसे तरीका से उठरते है. भगवन का हमेशा होता है की नॉलेज का सोर्स होता है. की वह एक भया है, नॉलेज ट्रांसफर करने के लिए. तोह भगवन ऐसी नाह तोड़ी है की फिजिकल फॉर्म में उतरेंगे.
परिबर्तन: (?)
सुजीत: यह तोह बोल रहे थे की हम तोह सिखलिया हम बनाएंगे ऐसे. मैंने बोलै की बनाओगे तोह अच्छा होगा. और हमेशा खेलेंगे, अगर मम्मी लोग ना मरेंगे तो. मम्मी लोग ना मारे तो. कचरे मैं खेलने से, वह भी खेलेंगे इस तरीका से. एक्चुअली, वह जो बच्चे से बात करके, ऑब्वियस्ली वहां का इंटरेस्ट ज़्यादा बच्चे की है, तोह भगवन शायद इतना ही है. भगवन उतरना कुछ यह नहीं है, भगवन एक वर्ड है, वह कही भी, कोई भी फॉर्म में उतर सकते है. कूड़ा भी एक भगवन है, जो कुढ़ का पापुलेशन बड़ा रहा छाता है.
परिबर्तन: (?)
सुजीत: कछरा सेठ उतरा था, जो अभी तक ज़िंदा है. और चल रहा है, कंटिन्यू है. उसका लाइफ कब तक है, पता नहीं.
आकांशा: कछरा सेठ डिवाइन है?
सुजीत: कछरा सेठ डिवाइन...
आकांशा: अवतार है?
सुजीत: कन्फ्यूज्ड हु. क्लियर नहीं हु, अवतार है या नहीं. लेकिन हाँ, वह अवतार की तरह, एक अवतार है. लाइक एस्ट्रोनॉट.
आकांशा: कछरा सेठ मालेगाव का सुपरमैन है?
सुजीत: सुपर... सुपरमैन. सुपरमैन का बौहत पावर होता है. सुपरमैन की तरह तोह नहीं है. हाँ. सुपर (?) हो सकता है. सुपरमैन होना मुश्किल है.
परिबर्तन: यहाँ पे लोग गुस्सा क्यों हुए है?
सुजीत: शूट जो कर रहे थे. गुस्सा होते है की उनका प्राइवेसी ख़तम होता है और यहाँ पे अगर कुछ होगा, मतलब कैमरा में आने से... बौहत लोग को कैमरा में आना पसंद है, और अगर उनके जगह में आ के, वह कैमरा में नहीं आ रहे, जो इस लैंड का हीरो है, और कोई दुसरे जगह से कोई रेडी-मेड हीरो आ के इनके लैंड को उसे करके, अपना सारा क्रेडिट लेह जाता है, तोह गुस्सा हो ही जाता है. की यहाँ का हीरो युटीलीसे नहीं होते, और बहार के हीरो इस जगह का फ़ायदा उताते है, इसी वजे से. और अगर उनको कैमरा में ला के, वो ही काम में कड़ा कर दिया जाये, तोह गुस्सा नहीं होएंगे. वह आराम से करेंगे काम. और उनको अच्छा भी लगेंगे.
परिबर्तन: (?) हीरो लगते हो.
सुजीत: हाँ. हीरो हीरो फील करता हु, अन्दर से. हीरो.
आकांशा: यह भी एक्सप्लोइटेशन हुआ ना.
सुजीत: एक्सप्लोइटेशन किस के सात?
आकांशा: उन लोग के लैंड के ऊपर, किसी के स्पेस पे आ के इन्ट्रूड करना. अपने कुछ एक्ट करके चले जाना, हट जाना. फिर वह जगा वैसे नहीं रहेगी ना.
सुजीत: ऐसे क्यों नहीं रहेगी?
आकांशा: क्या यह अपने जाने के बाद, यह जगह ऐसे रहेगी?
सुजीत: ऐसे ही रहेगी, लेकिन वह टाइम के सात वह चेंज होगा. मतलब ऐसे नहीं हैं की यहाँ पे हम कुछ डेफोर्म करने नहीं आये. और कुछ चेंज करने नहीं आया. मैं बस विजुलाइसे करने आया की एक्चुअली हो क्या रहा है. और मैं कुढ़ को कहा कहाँ पा सकता हु. और डिफरेंट सिटीज में डिफरेंट स्पेस में कुढ़ को देख पाटा हु. वह जगा गुमना अच्छा लगता है. जिस जगा मैं रिलेट कर पाटा हु.
आकांशा: तुमने बोलै की यह राकेट सुबह सुबह लांच हो जायेगा. आपको लगता है की लोग देखने आएंगे? चेक-आउट करेंगे सुबह?
सुजीत: जो यहाँ पे बच्चे देखे, वह ज़रूर चेक आउट करेंगे. और इन्ही बच्चे में से एक ने बोला की, यह, वह जो बनानी वाली बात. मैं अभी राकेट उसका नाम दिया, वह बच्चा उसको मंदिर बोला, और जोह आगे बच्चे बनाएंगे, वह उसको क्या क्या नाम देंगे उनके ऊपर है. बनाये, ना बनाये वह अलग बात है. लेकिन जो देखे है, जिसको एक्सपीरियंस किये है, राकेट तोह उनके दिमाग में लांच हो ही गया है. और... हाँ, इन्ही बच्चे में से एक कहे रहे थे, की यह कल तक नहीं रहेगा. तोह मैं शोरे हो गया की राकेट लांच हो गया. मैं शोरे हो गया. जो बच्चा बोलै उससे, दांतुन भाई, दांतुन भाई ने बोलै की कल तक यह राकेट नहीं रहेगा, तोह मैं शोरे हो गया की राकेट लांच हो जायेगा. मैं पूछा की क्यों नहीं रहेगा? मैं तोह आग लगाने नहीं आ रहा हु, वह बोले की, जोह हम देखे है, हम लोगों कुछ नहीं करेंगे, लेकिन जो नहीं देखे है, यहाँ पे करते हुए, वह लोग उसके लांच कर देंगे.
आकांशा: सब्जेक्ट (?)?
सुजीत: सब्जेक्ट... भानघर. भानघर का मीडियम... क्लियर नहीं हु.
बच्चा: (?)
सुजीत: कछरा सेठ एक करैक्टर है. जो दिल्ली में उतरथा. और वह शायद शाह जहाँ के टाइम का मुग़ल किंग का भूत उतरता, और वहां पे गुंथे गुंथे वह आ के मुंबई पौंछा, और मुंबई में आ के देख रहा है. और, बस, अपना जगह दंड रहा है, की मेरे जगह की हालत क्या है, और मैं कहाँ रहे सकता हु? और बस अपनी रहने की जगह दंड रहा है.
बच्चा: (?) जो ताज महल बनाया था.
सुजीत: नहीं. ताज महल तोह शाह जहाँ ने बनाया था, लेकिन वही बात है ना, की ताज महल उसने बनाया था, लेकिन वह मर गया. उसके टाइम पे, यह सब नहीं हुआ रहता था. और अभी अगर वह आये, ताज महल कहाँ बनाएगा? वह जो काला ताज महल बनाने वाला था, मुझे लगता है की शायद वह काला ताज महल यह ही है. जो ताहेर रहे है ज़मीन के ऊपर, जो कड़ा नहीं है. और स्लुम्दोग मिलियनेयर से लेके जो सारा चीज़ है, वह जो काला ताज महल बनाते बनाते रुख दिए थे उसके बेटे ने... यह है काला ताज महल. यह काला ताज महल है.
बच्चा: वह आपके सामने अच्छा नहीं लग रहा है.
सुजीत: क्यों अच्छा नहीं लग रहा है? मुझसे ज़्यादा सुन्दर लग रहा है?
बच्चा: नहीं नहीं. आप इतने अच्छे लग रहे हो, वह ब्लैक ब्लैक अच्छा नहीं लग रहा.
सुजीत: अच्छा लग रहा है.
परिबर्तन: आर्टिस्ट बन्ने से अलग चीज़ बन जाती है?
सुजीत: आर्टिस्ट बन्ने से वह जोह नार्मल चीज़ है, उसका क्योंकियस्नेस्स की वजय से वह अलग तरीका से दीखता है, अलग बनता वह नहीं. वह जैसे है, वह वैसा ही है. लेकिन हम अलग तरह से परसीव करना स्टार्ट करते है. और बस इतना ही है आर्टिस्ट और नार्मल ह्यूमन से जो एक्सपीरियंस आ के आर्टिस्ट के थरु जो रिएक्शन जो आर्टिस्टिक रिएक्शन वह जो नार्मल ह्यूमन का जो एक्सपीरियंस वह आर्टिस्टिक रिएक्शन के थरु यह है. उसमे कुछ बदलता नहीं है, अलग तरीक से दीखता है, दीखता है, अलग ट्रांस में दीखता है. लेकिन रेगुलर प्रैक्टिस में वह ट्रांस नहीं रहता. वहां पे शायद... एडजस्टमेंट ज़्यादा और... वह ट्रांस हॉटा है एडजस्टमेंट का. नार्मल लाइफ की. और आर्टिस्टिक लाइफ में एडजस्टमेंट करनी की ज़रूरत ही नहीं. क्यूंकि इस के सात सर्वाइव करना रहता है. और बास एक्सपीरियंस करना है इसको. इसीलिए अलग है. लेकिन अलग दीखता है, बनता नहीं है.
आकांशा: (?) अभी यह नाला देखा, (?)
सुजीत: हाँ. स्टार्टिंग से यह फील आ गयी थी की पैंट फोल्ड कर के कुढ़ने के लिए तैयार था. की जा के देखु कुछ. कुछ ढूँढू.
आकांशा: मेरको भी लगा.
सुजीत: क्यूंकि मैं कचरे में आ के कुढ़ को एस्ट्रोनॉट फील करता हु.
कुश: एस्ट्रोनॉट कैसे?
सुजीत: एस्ट्रोनॉट ऐसे की एस्ट्रोनॉट जैसे काम करता है, एस्ट्रोनॉट भी वही मून में जितना सारा चीज़ है, या धरती के बहार जो भी चीज़ हम डंडे जाते है, वह डर्टी में कोई भी काम आने वाली नहीं है, वह बस कनौलेज के लिए है. और यहाँ पे आ के फिजिकली यूटिलाइज उसका कुछ भी नहीं है. बस एक्स्प्लोर करने के लिए. और वह उनका रोज़ी रोटी है. उनको तनख्वा मिलता है, वह काम करने के लिए, पैसा के लिए वह काम करते है और पैशन और यहां पे क्या होता है, वहां पहले से पैसे रेडी होता है वह काम करना जाते है, यहाँ पे आ के काम करने से उसी में से निकलने की कोशिश कर रहे है. और काम दोनों का सेम है, वह भी जा के ढूंढ़ते रहते है चीज़ों को. कछरे में से वह भी... वह कछरे में से कुछ कचरे को वैल्यू देने की कोशिश करते है, और यहाँ भी भंगार भी वही करता है की उसी कछरे में से, कुछ कचरों को वैल्यू... तोह मुझे सिमिलर लगता है, एक कबाड़ी वाले का काम और एक एस्ट्रोनॉट का काम, वहां भी पैशन की ज़रूरत है, यहाँ भी पैशन की ज़रूरत है, वहां भी बौहत हिम्मत चाइये, डर्टी से बहार जाने के लिए, यहाँ भी हिम्मत चाइये की कछरे में जाके नाले में कुढ़ने के लिए, सेम एक्सपीरियंस है. वहां पे भी ऑक्सीजन नहीं है, यहाँ पे भी मैं अभी अन्दर था, यहाँ पे भी ऑक्सीजन की कम्मी थी क्यूंकि में जो पानी में कर रहा था, उसमे से जो गुड़ गुड़के निकल रही थी, मुझे सफोकेशन हो गया था. और मैं इसीलिए निकल आया था था उधर से. (?). उसके अन्दर की हालत, उसके अन्दर में ऑक्सीजेन काम है. उस पर्टिकुलर स्पेस में. तोह यहाँ पे भी सर्वाइव करना मुश्किल है. उनका भी सर्टेन ड्रेस कोड है, इनका भी सर्टेन ड्रेस कोड है, यहाँ पे कुत्ते भोंकते है ड्रेस कोड से, एस्ट्रोनॉट के ड्रेस कोड में रस्ते पे चलेंगे, उन पे भी कुत्ते बांकेगे.
परिबर्तन: लाइफ और डेथ के बीच में, (?) उसका कुछ वैल्यू (?)
सुजीत: लाइफ और डेथ के बीच में हम बस फिजिकल कूड़ा नहीं प्रोड्यूस करते. हम बौहत सारा कूड़ा ऐसे प्रोड्यूस करते है जिसमे, जैसे हमारा कुछ डायलॉग ट्रांसफर होता है और हमारा स्टोरी अगर जो कुछ हम कहते है. अगर हम कुछ मिथ बनादिया. किसी शहर में गुमने गया, बहार गुमने गया, वहां से आके मैं कुछ मिथ बोलै... जैसे आर्मस्ट्रांग... आर्मस्ट्रांग एवेरेस्ट चढ़ा था? नील आर्मस्ट्रांग एवेरेस्ट या मून गया था? हाँ, मून वह पहले गया था. अच्छा एवेरेस्ट तोह यह सर जॉर्ज एवेरेस्ट एवेरेस्ट छाडे थे. नापे थे, छाडे नहीं थे. आर्मस्ट्रांग, वह मर चूका है. वह मून पे गए आया, अब वह मिथ है, वह कूड़ा है की कभी कोई कहता है की वहां पे जो जांदा है, वह हिल रहा था, वहां पे कोई हवा नहीं है, जांदा कैसे हिल रहा था? तोह उससे हम निकलते है सब बात. तोह कूड़े से कूड़ा हम और निकालने की कोशिश करते है. तोह लाइफ और डेथ के बीच का... मैं क्लीर नहीं हूँ.
परिबर्तन: (?)
सुजीत: अब मैं क्लीर नहीं हु (?)... लेकिन इतना है की... कूड़ा किसी एक का नहीं है. कूड़ा एक ऐसे चीज़ है की उसी में से वह पैदा होता है. कूड़े में से कूड़ा पैदा होता है, कूड़े प्रोडूस करने वाले भी कूड़ा है, और कूड़ा अपने आप बढ़ता जाता है. जैसे वह कहते है पैसे पैसे को कीचता है, कूड़ा कूड़ा को ही कीचता है. तोह कूड़ा के पास कूड़ा बनाने करने वाले भी एकता हो जाते है, कूड़ा को (?) भी एकता हो जाते है, कूड़ा को छांटने वाले भी एकता हो जाते है, उसको भी शहर कूड़ा की तरह देखता है. तोह मुझे लगता है की कूड़ा कुढ़-न-कुढ़ बढ़ता जाता है. और उसको कण्ट्रोल करना मुश्किल है. और वह किसी पर्टिकुलर इंडिविजुअल से नहीं बनता है, वह अपने पापुलेशन को बढ़ाना चहाराहा है हमेशा, जैसे की...
परिबर्तन: इधर भी (?) लाइफ और डेथ के बीच में... (?)
सुजीत: कूड़ा अगर हम ऐसे देख रहे है... इतना कूड़ा अगर हमें दर लग रहा है, कूड़ा अगर ह्यूज हो जाये, जैसे कूड़े का पहाड़ देखे. अब मुझे कूड़े से फिर नहीं है. कूड़ा मुझे अब लगता है की, पहले मैं कूड़ा को नेगटिवेली ले रहा था, मुझे नेगेटिव लगता था, जो रिफ्लेक्शन आता था, वह नेगेटिव लगता था, लेकिन पिछले कुछ दिनों का दौरान, मैंने कूड़ा को देखा जैसे, दिल्ली मैं कूड़ा पहाड़ जैसे बदलदीए, कूड़ा पहाड़ को जो ग्रीन माउंटेन बदलदीए, वेस्टर्न टाइप माउंटेन, उससे मुझे लगे की कूड़ा सिम्पली कूड़ा नहीं है, कूड़ा गंधा नहीं है. ऐस्थेटिकल्ल्य गंधा नहीं है. काम से काम जिस शहर में माउंटेन नहीं है, वहां पे अब माउंटेन बना सकते है कूड़ा से. और किसी चीज़ से हम माउंटेन नहीं बना सकते, वह वास्ते होगा. अगर हम मिटटी पत्थर लेके माउंटेन बनाएंगे, तोह फिर वह मिटटी पत्थर वास्ते हो गया माउंटेन बनाने में. अगर वह कूड़ा है, वह तोह ऐसे ही डहर बनने वाला है. तोह अगर उससे अगर माउंटेन बना दिए, वह युटीलीज़े हो गया. उससे हमें नया माउंटेन मिल गया. तोह पॉजिटिव है.
परिबर्तन: ऐस्थेटिकल्ल्य, कूड़ा ब्यूटीफुल है.
आकांशा: आर्चिटेक्टरलली उसेफुल भी है?
सुजीत: नेक्स्ट उसका वर्शन क्या होगा, पता नहीं, अब तक जितना एक्सपीरियंस है, वही है.
परिबर्तन: लोग जो कहते है सिटी को ख़राब कर देता है, बॉम्बे लोग देखने आते है की स्लम है...
सुजीत: हाँ ऑब्वियस्ली अच्छी बात है. मैं जोह छाता हूँ की सारा कूड़ा एक जगा में लेके रक् दिया जाये, तोह वह एक टूरिस्ट पॉइंट बन जायेगा. कूड़ा को अगर इतना ह्यूज कार्डियाजाये, इतना ह्यूज हो जाये, तोह उसके तोह लोग देखने आएंगे. उससे इतना पॉजिटिव यह निकलेगा. अगर उसको प्रॉपर रखदिया जाये, तोह वह टूरिस्ट स्पॉट बन सकता है. बौहत कुछ हो सकता है. जैसे गंधा कहते है कुछ लोग, जोह कूड़ा से ज़िंदा है वह, उनकेलिए बौहत अच्छा है. उसी से उनका सारा निकल रहा है, तोह... मैं भी समाज नहीं पाटा हु कूड़ा कितना अच्छा है, कितना... लेकिन कूड़ा कूड़ा है. नहीं। कूड़ा कूड़ा है, दिल्ली मैं, कूड़ा कचरा है मुंबई में.
परिबर्तन: जोह पुराण सविलिसशन देखते है, फोर्ट जाओ, कहीं पे जाओ, वहां पे कूड़ा नज़र नहीं आता है. पूरा मॉडर्न इंसान है, वह उसकी चाप है. जब यह सविलिसशन ख़तम हो जायेगा, उसका बौहत सारा कूड़ा मिलेगा.
सुजीत: कूड़ा इसीलिए मिलेगा इसीलिए की हमने कुछ प्रोडूस इस कुछ सो सालों में, तीन चार सेंचुरी में, हमने जो नया मटेरियल इंवेंट किया है, प्लास्टिक सब से बड़ा रोले प्ले कर रहा है कूड़े का स्टेबिलिटी. क्यों की प्लास्टिक पहले से कहे रहा है की सो साल ज़िंदा रहे सकता हूँ. और बस, सो साल बाद प्लास्टिक ख़तम, लेकिन प्लास्टिक अगर इंसान ने कभी प्लास्टिक को बनाना बांध कर दिया, तोह कूड़े का अमाउंट काम हो जायेगा. कूड़ा का फॉर्म चेंज हो जायेगा, बाकी सब कूड़ा मैक्सिमम रेसिक्लाब्ले है. प्लास्टिक को छोड़ के. चले?
walking back to station with Sujit
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