044: Saradih interview with Upsarpanch
Director: Sunil Kumar; Cinematographer: Sunil Kumar
Duration: 00:13:29; Aspect Ratio: 1.778:1; Hue: 54.730; Saturation: 0.078; Lightness: 0.363; Volume: 0.192; Cuts per Minute: 0.370; Words per Minute: 93.726
Summary: यह साराडीह के उपसरपंच जय नारायण जयसवाल हैं। इनका कहना है कि बैराज बनने से किसानों को नुकसान भी है और फायदा भी। लेकिन ज्यादातर किसानों को नुकसान ही झेलना पड़ेगा। क्योंकि यहां साराडीह गांव में अधिकांश सीमांत किसान हैं। जिनके पास एक एकड़ या 50 डेसीमल जमीन है। और वह सब डूब क्षेत्र में आ रही है। आन्दोलन के माध्यम से साराडीह के किसानों ने सरकार के सामने अपनी मांग रखी है जिसमें कहा गया है कि प्रभावित परिवार के कम से कम एक सदस्य को कम्पने में स्थाई रोजगार दिया जाय और उसकी जमीन का 25 लाख रुपए प्रति एकड़ की दर से मुवावजा दिया जाय। जय नारायण जी पूरे समय इस तरह के एटीट्यूट में दिखे जैसे कि वह मीडिया को इंटरव्यू दे रहे हों। इनका मानना है कि सरकार जब बैराज में इतना पैसा लगा चुकी है तो अब वह रुकेगा नहीं इसीलिए उपसरपंच साहब का जोर मुवावजा और नौकरी पर है। जबकि वहीं बैठे एक अन्य किसान का कहना था कि उनकी जमीन डूबनी नहीं चाहिए क्योंकि यदि जमीन चली गई और मुवावजा मिल भी गया तो भी उन्हें फायदा नहीं होगा क्योंकि जमीन रहेगी तो कम से कम वह साल भर का अन्न तो दे देगी और पैसा तो कभी भी खत्म हो जाएगा। यह भी सच है कि इस गांव के पंचों या उपसरपंचों द्वारा बैराज बनाने वाली कम्पनी को No Objection Certificate दिए बिना काम तो नहीं ही शुरू हो सकता है।
Saradih
मैं अपना परिचय दे देता हूँ.
मैं जयनारायण जायसवाल हूँ, ग्राम पंचायत साराडीह का उप सरपंच. यहाँ महानदी पर जो डैम बन रहा है उससे किसानों का नुकसान भी है और फ़ायदा भी. ज्यादातर किसानों को नुकसान ही झेलना पड़ेगा. क्योंकि यहाँ अधिकतर सीमान्त किसान हैं. जिनके पास एक एकड़ या पचास डेसीमल जमीन है. वह सब डुबान क्षेत्र में आ रहा है.
धरने प्रदर्शन के माध्यम से हमने सरकार को बताया कि हमारे सीमान्त कृषक, जो गरीब हैं उनको मुवावजा दिया जाया और पढ़ाई के आधार पर नौकरी दी जाय. यहां से तीन पाईप लाईन जा रहा है. पहला विसा पॉवर प्लांट, डेवरी है, दूसरा एस.एस. कंपनी, बिंजकोट और तीसरा आर.के.एम. पॉवर प्लांट, उचापिंडा. इन तीनों पॉवर प्लांटों को ही इस नदी से फ़ायदा होगा, हमारे किसानों को फायदा बहुत कम है.
जो भूमिहीन किसान हैं उनको काफी नुकसान होगा. यह भूमिहीन परिवार इस नदी की जमीन पर अपना जीवन यापन चला रहे हैं. जिससे वह दिल्ली, कश्मीर, पंजाब, हरियाणा के लिए जो पलायन करते हैं, वो कम हुआ है. अब डैम बनाने से हमारे गरीब किसानों की रूजी-रोटी छीनी जा रही है.
अगर इन तीनों कंपनियों में हमारे गरीब किसानों को काम दिया जाय तो, हम भी गरीब हैं हमको भी वहां काम चाहिए, हम यह नहीं कह रहे हैं कि हमको इंजीनियरिंग पद पर ही काम दिया जाय, हमारी जो क्वालीफिकेशन है उसी आधार पर हमें वहां काम मिलना चाहिए. अगर हमारे बेरोजगार घूम रहे बच्चों को ट्रेनिंग दिया जाए तो कल के दिन में वो लोग इलेक्ट्रीशियन या अन्य पदों पर काम कर सकते हैं. यही हमारी सोच है.
इसके लिए हम लोग राज्यपाल, राष्ट्रपति, और मंत्री, डी.एम., एस.डी.एम. सभी के पास ज्ञापन भेजें है. लेकिन बाँध बनाने से फ़ायदा भी है. यहाँ का वाटर लेबल ऊपर आ जाएगा. तो जो यहाँ बोर या हैंडपंप हैं उससे भरपूर मात्रा में पानी की उपलब्धता होगी.
बाँध बनने के पहले पानी कितने फिट पर मिल जाता था?
यहाँ इस बस्ती में 75-90 फिट पर हैंडपंप से पानी मिल रहा है. यहीं पर जो हैंडपंप है उनमें 90 फुट पर पानी मिला है. अभी ट्यूबवेल बढ़ने के कारण पानी नीचे 150 फिट तक जा रहा है. अगर यह बनेगा तो इससे हमको फ़ायदा होगा, यह मालूम है.
यह जो बैराज बन रहा है उसमें यहाँ के लोगों को काम मिला है?
नहीं. साराडीह के नाम से बैराज तो बन रहा है लेकिन हमारे यहाँ के एक भी आदमी को काम नहीं मिल रहा है. अगर कोई काम माँगने भी जाता है तो कहते हैं कि हमारे यहाँ काम नहीं है. यह साराडीह के नाम से बन रहा है तो साराडीह को पहले प्राथमिकता मिलनी चाहिए. जब तक यह नहीं होगा. हम शासन प्रशासन तक जानकारी भेजते रहेंगे और विरोध जारी रखेंगे.
और मुवावजे की क्या बात हुई है?
अभी तक स्पष्ट कुछ भी नहीं कहा जा रहा है कि हम आपको प्रति एकड़ या प्रति डेसीमल इतना देंगे, बस आश्वासन पर आश्वासन दे रहे हैं.
आपकी तरफ से कुछ मांगे होंगी कि हमें इतना मिलना चाहिए?
जी. अपने यहाँ जो कंपनियों ने जमीन की खरीदी की है, वह 12 लाख, 14 लाख प्रति एकड़ में खरीदा है तो हम यह कह रहे हैं कि कंपनी के आधार पर डुबान क्षेत्र का मुवावजा दिया जाए. हम अपनी तरफ से अपनी कुछ मांग रखे हुए हैं, यह मुख्य तौर पर दो हैं- पहला हमारी जमीन का मुवावजा और दूसरा भूमिहीन किसान को कंपनी में काम दिया जाय.
दादा आपकी कितनी जमीन जा रही है?
डेढ़ एकड़ जा रही है.
आप मुवावजे के लिए तैयार हैं या आप जमीन नहीं देना चाहते हैं?
मुझे तो जमीन चाहिए साहब, मैं तो गरीब हूँ, मेरा तो वही ही एक आधार है.
मुवावजे के से काम चल जाएगा?
नहीं, नहीं. मैं जमीन कहाँ खरीदूंगा? मुवावजे में क्या है पैसा कहाँ ले कर जाएंगे, सब ख़त्म हो जाएगा.
आप बोल रहे थे कि कंपनी ने कुछ जमीन खरीदी है, वह पाईप लाइन ले जाने के लिए है?
बैराज का ऑफिस बनाने के लिए जमीन लिए हैं. पाईप लाइन के लिए अभी जमीन की खरीदी नहीं हुई है. हमारा यह कहना है कि जो जमीन डुबान क्षेत्र में आ रही है कम से कम उस आधार से मुवावजा मिलना चाहिए जिस आधार पर ऑफिस के लिए जमीन खरीदी है.
जहां से पाईप लाइन जा रही है वहां की जमीन का मुवावजा भी बहुत कम मिल रहा है. हमारा यह कहना है कि उसका रेट भी ऑफिस के लिए खरीदी गयी जमीन के बराबर होना चाहिए.
आप काम के लिए बोल रहे थे, लोग फैक्ट्री में काम करना चाहेंगे?
जी हाँ. आज हमारे गाँव के कुछ लोग कमाने के लिए दिल्ली जा रहे हैं. अगर उनको यहीं काम मिल जाएगा तो वहां क्यों जाएंगे? यहाँ तो ककड़ी, खीरा वगैरह उगा कर जीवन-यापन कर रहे हैं. पानी भर जाने पर वे तो बेरोजगार हो जाएंगे.
जिनके पास कोई जमीन नहीं है, उनको तो कोई मुवावजा नहीं मिलेगा?
यही तो मैं बोल रहा हूँ, कि हमारे यहाँ के जो भूमिहीन किसान हैं, अगर उनको कंपनी में काम दिया जाता है तो वो अपना जीवन-यापन कर सकते हैं. वह सब्जी उगा कर साल भर के लिए अपने खर्च का इंतजाम कर लेता है.
ऐसे कितने लोग है, जो यहाँ से जीवन-यापन करते हैं? भूमिहीन लोग कितने होंगे?
यहाँ से करीब 120 लोग होंगे जो भूमिहीन हैं.
इस गाँव में कुल कितने लोग हैं?
करीब 500 परिवार हैं.
और छोटे किसान कितने हैं, जिनके पास 50 डेसीमल या 1 एकड़ जमीन है?
यहाँ तीन प्रकार के किसान हैं. एक हैं भूमिहीन, दूसरा है सीमान्त कृषक, और तीसरा बड़ा किसान. पांच एकड़ से में सीमान्त किसान हैं, जिनकी संख्या 470 तक है. अब इसमें बहुत छोटे किसान हैं, किसी के पास 50 डेसीमल, किसी के पास एक एकड़ है, किसी के पास दो एकड़ है. बस ऐसे ही आपको मिलेंगे. तीन साढ़े तीन एकड़ से ज्यादा कोई नहीं मिलेगा.
आर.के.एम. पॉवर प्लांट में चार गाँव की जमीन गयी है, घिंउरा, उचपेंडा, बांधापाली. वहां उचपेंडा के लोगों को जमीन से हटा दिया गया है. फैक्ट्री भी सामुदायिक जमीन पर बनी है, और अभी कुछ नहीं मिला है. और यहाँ भी इस गाँव की लगभग पूरी आबादी इस रेत पर अपना जीवन-यापन करती है. वहां पर तो फैक्ट्री खड़ी हो गयी है. आपको क्या लगता है यहाँ भी हो पाएगा? लोगों को रोजगार मिलेगा? वहां तो कुछ नहीं मिला?
अगर हमको काम नहीं मिलेगा, तो हम दंगा फसाद करेंगे. चाहे अपने गाँव के लिए हमको जेल ही क्यों न जाना पड़े. पूरी पब्लिक लेकर हम जाएंगे. जब तक मुवावजा नहीं मिलेगा
मुवावजा किसका? उसका या इस जमीन का?
इस जमीन का. और साथ में जब तक गाँव के गरीबों को फैक्ट्री में काम नहीं मिलता तब तक हम अपनी लड़ाई जारी करेंगे. हम कहाँ जाएंगे? हमारे गरीब लोग कहाँ जाएंगे, बताईये आप? इस रेत पर जो अपना जीवन-यापन चला रहे हैं उनको पाना परिवार चलाने के लिए कुछ तो मिलना चाहिए, अन्यथा रेत में तो वो बह जाएंगे.
मुवावजा कितना? मतलब एक एकड़ पर कितने की मांग है आपकी?
हमने तो 25 लाख रूपए प्रति एकड़ की मांग की है.
लेकिन कई लोग तो इसके लिए तैयार नहीं हैं. उनका कहना है कि जमीन रहनी चाहिए 20-25 लाख में उनका काम नहीं चलने वाला है?
ठीक है. अगर सरकार ने इतना पैसा खर्च कर दिया है और नदी पर बैराज बना रहे हैं तो वह रुकेगा तो नहीं. यह मुझे मालूम है. लेकिन हम अपना दंगा-फसाद, सरकार को सूचना देने के लिए जारी रखेंगे तो निशिचित है कि हमें मंजिल जरूर मिलेगी.
आप खुद ही बोल रहे हैं कि यह रुकेगा नहीं क्योंकि सरकार इतना पैसा लगा चुकी है फिर आपके दंगा-फसाद से क्या फ़ायदा?
हाँ नहीं रुकेगा, लेकिन फ़ायदा यह है कि दंगा-फसाद करेंगे तो हमारी आवाज सरकार के कान तक जाएगी. राष्ट्रपति को मालूम है कि यहाँ बैराज बन रहा है लेकिन उनको यह नहीं मालूम है कि यहाँ इतने किसान p
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