039: Saradih agriculture in the Mahanadi riverbed
Cinematographer: Sunil Kumar
Duration: 00:04:12; Aspect Ratio: 1.778:1; Hue: 74.973; Saturation: 0.032; Lightness: 0.472; Volume: 0.142; Cuts per Minute: 0.713; Words per Minute: 54.659
Summary: महानदी की रेत में साराडीह गाँव के आधिकांश लोगों की जिंदगियां पलती हैं। वह इस रेत में सब्जियों का उत्पादन करते हैं और पूरा जांजगीर जिला इसका उपभोग। हमारे जाने के समय आलू लगाई जा चुकी थी और प्याज, टमाटर, धनिया आदि के पौधे रोपे जा रहे थे या फिर उनके लिए छोटे-छोटे गड्ढे किए जा रहे थे। कुमार राम, जो वहीं के किसान हैं, इस पूरी स्थिति को हमारे सामने रखने की कोशिश कर रहे थे।

Saradih riverbed agriculture

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जब नदी में पानी कम होता है तो इस जमीन पर हम सभी गांव वाले मिल-जुलकर बंटवारा करते हैं। बंटवारा करने के बाद अपनी-अपनी मर्जी से फसल उगाते हैं।

यह फसल सभी गांव वालों का है। इसमें मेरा भी है।

यही मेरा है। यहां से लेकर, वो जो गाजा लगा हुआ है, वहां तक।

अब उस गाजा को उखाड़ कर उसे आगे बढ़ा कर मैं और खेती करूंगा। ट्माटर भी इसमें...

यह जो खाली जमीन पड़ी हुई है इन सब पर भी खेती होगी?

पहले होना था लेकिन हमारे गांव के नियम के हिसाब से बंटवारा नहीं हुआ था तो इसलिए इसे छो
ड़ दिया गया। अब उधर पानी के किनारे-किनारे करेंगे, इधर बाकी ही रहेगा।

इसमें यदि अभी फसल लगाएंगे तो वह खत्म हो जाएगी। इसमें जो नमी है, वॉटर लेबल कम हो गया है तो जो अभी का वॉटर लेबल है उसी के हिसाब से फिर लगाएंगे।

अभी इसमें हम लोग आलू, गाजर, मूली, लाल भाजी, और इसमें मटर भी है। ऐसे- ऐसे सभी लोग लगाए हैं।

सभी गरीब किसान भाई मिल जुलकर बांटकर ऐसे लगाते हैं। जीवन-यापन का यह जरिया होने कारण हम लोगों को बाहर नहीं जाना पड़ता था। लेकिन अब हम लोगों को गांव छोड़ कर भे भागना पड़ेगा।

अब बाहर मेरा जमीन है तो ठीक है अब किसी गरीब किसान की जमीन बाहर नहीं है तो वह क्या करेगा? खाने-कमाने के लिए गांव छोड़कर वह बाहर निकल जाएंगे।

उधर जाकर और देख लीजिए..

आप अन्दर जाइए।
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