035: Mironi interview with up-sarpanch and farmer
Cinematographer: Sunil Kumar
Duration: 00:19:29; Aspect Ratio: 1.778:1; Hue: 45.970; Saturation: 0.132; Lightness: 0.363; Volume: 0.216; Cuts per Minute: 5.644; Words per Minute: 103.544
Summary: कलाराम और हरीराम यह दोनों मिरौनी गाँव के किसान हैं। साथ ही मजदूर भी, जो कभी-कभी मजदूरी के लिए ईंट-भट्ठे पर काम करने के लिए जम्मू भी जाते हैं, अभी यह पिछले साल होकर आए हैं। फिलहाल खेती अच्छी हो जा रही है और बच्चों की पढाई का मामला था तो इस साल नहीं गए। लेकिन बैराज बनने के बाद शायद उन्हें जाना पड़े। कलाराम के अनुसार गाँव के लगभग 50 लोगों की खेती वाली जमीन डूब में जा रही है। नरियरा रोड के ऊपर (उत्तर की तरफ) की जमीन ऊँचाई पर होने के कारण डूब में नहीं जा रही है लेकिन रोड के दूसरी तरफ (दक्षिण) वाली जमीन 10 फुट नीचे होने के कारण डूब में जा रही है। जब साधारण सी बरसात होने पर यहाँ पानी भर जाता है तो बैराज बनने के बाद पानी हमेशा के लिए वहां पर भरा ही रहेगा। अभी पिछली बरसात में ही कलाराम की साढ़े चार एकड़ जमीन डूबी रही थी। बैराज से डूबने वाली जमीन का आंकड़ा लगभग 100 एकड़ तो होगी ही। मिरौनी बैराज के कंस्ट्रक्शन के लिए रोड बनाए जाने के दौरान गाँव वालों ने मांग की थी कि रोड को गाँव के नीचे से (नदी की तरफ से) ले जाया जाय इससे रोड बाँध का काम करेगा जिससे खेत और गाँव दोनों ही डूबने से बच जाएंगे। लेकिन अधिकारियों ने यह तर्क दिया कि 'रोड पर गाड़ियां चलेगीं तो एक्सीडेंट होने का खतरा बना रहेगा' और उन्होंने पहले से बनी रोड का ही पुनर्निर्माण कर दिया। गाँव के लोग जमीन के मुवावजे के लिए पिछले साल से आन्दोलन कर रहे हैं। इसी प्रक्रिया में उन्होंने SDM का घेराव भी किया था। SDM के आश्वाशन के बावजूद अभी तक न तो डूब क्षेत्र का कोई सर्वे हुआ है और न ही कोई मुवावजे की बात सरकारी अधिकारियों की तरफ से हुई है जबकि बाँध की ऊँचाई लगातार बढ़ती ही जा रही है।

आप लोग डैम में काम करते हैं?
Mironi

नहीं. हम लोग नहीं कर रहे हैं. हमारे घर से एक-दो आदमीं जा रहे हैं,

सही मजदूरी भी नहीं दे रहा है.

खेती में क्या है कि हमको जम्मू कश्मीर जाना नहीं पड़ता है, घर में ही रहते हैं.

जम्मू-कश्मीर बहुत सारे लोग जाते होंगे?

हाँ हम जाते हैं, हम 10 साल वहां गए थे. मैंने जम्मू के चीफ हेड क्वाटर, राजवानी तालाब में काम किया था.

तो वहां जाना बंद क्यों कर दिया?

ऐसा है कि परिवार बड़ा हो गया हैं और वहां पढाई की दिक्कत होती है. कम से कम बारहवीं पास तो करवाना ही है. एक लड़का यह है जो अभी ग्यारह में पढ़ रहा है. और दूसरा बारहवीं पास कर डैम में गाड़ी चला रहा है.
डैम में काम कर रहा है.

हां. दो लड़के ग्यारहवीं में पढ़ रहे हैं. और दो बारहवीं पास कर चुके हैं और छोटे-छोटे स्कूल जा रहे हैं. तो जम्मू काश्मीर में इतना बड़ा परिवार लेकर नहीं जा सकते हैं.

लेकिन यहाँ इतना हो जाता है कि साल भर काम चल सके?

हां. यहाँ जो भी फसल होती है यदि उसको धार्मिक रूप से खाओगे तो, अब 150 कमाते है और 150 रूपए ही खाएंगे तभी ठीक रहेगा. यदि रोज शाम को ‘पौवा’ (शराब), मुर्गा लेकर आएँगे तो कैसे होगा. हमारे गाँव में 100 प्रतिशत लोगों में से 25 प्रतिशत लोग ही सही हैं, बाकी सभी डी.डी. (डेली दारू) वाला है,

तो खर्चा तो... आज ऐसा कोई नहीं है जिस पर कर्जा न हो. सभी कर्जे वाला है. जैसे हमारे पास कर्जा अभी नहीं है, हम लोग मेहनत करने वाला आदमी है. सभी जानते हैं किसी से भी पूछ लो की कालाराम नाम का आदमी कैसा है? मनोरंजन के लिए हम ताश वगैरह भी नहीं खेलते हैं. यहाँ से समय मिला तो खेती वगैरह घूमने चले जाते हैं.

खेती के पास ही सिंचाई का साधन उपलब्ध है?
20-25 फुट गहरे कुंवे हैं. और सरकार ने छोटा वाला ट्यूबवेल दे दिया है. जो बिजली से चलता है.

बिजली मुफ्त मिलती है?
नहीं, उसका बिल दिया जाता है.

अभी बिजली विभाग ने किसानों को बकाया बिल चुकाने को कहा है, जो कि आठ लाख है. 15 दिन का मौक़ा दिया गया है नहीं तो कनेक्शन काट दिया जाएगा.

तो क्या डैम बनाने से उसका कोई फ़ायदा होने वाला है?
हाँ. डैम बनाने से हमारे यहाँ के बहुत लोगों का फ़ायदा होने वाला है.

जैसे कैसे?
जैसे, जिनकी जमीन रोड के इस (उत्तर) तरफ है उनको फ़ायदा है.

आप लोग नरियरा मंडी से होते हुए आए हैं न, तो उस रास्ते के दूसरी तरफ जो जमीन है उन सबको फ़ायदा होगा. वह ऊपर की जमीन है और दूसरी तरफ 10 फिट नीचे की जमीन है. जिससे थोड़ी भी वर्षा होने पर भर जाता है.

वह सब जाएगा?
हाँ. वह सब जाएगा.

तो गाँव के कितने लोगों की जमीन है वहां पर?

ज्यादा तो नहीं है 50 आदमी का होगा. हमारे पूरे गाँव की जमीन बीस-बीस, पच्चीस-पच्चीस डेसीमल में बंटी हुई थी. एक स्थानीय नेता की सलाह दी कि दो-दो एकड़ का चक बना डालें जिससे कि कुंवे, मशीन के लिए सरकारी लोन मिल सके. और साथ में बिजली भी.

हमें यह सुझाव अच्छा लगा. और हम लोगों ने दो-दो एकड़ का प्लाट बना लिया. तो जितने इधर के लोग हैं सब अदला-बदली करके अपना-अपना ले लिए.

तो पहले बंटा हुआ था अब सभी इकट्ठा हो गया है?

हां, सभी का सभी जगह फैला हुआ था, अब मेरा सभी वहीं चला गया है. अभी साढ़े चार एकड़ जमीन एक ही जगह है. और एक एकड़ नीचे है नदी के किनारे, यह भी डूब में चला जाता है. पिछले साल इसमें एक भी दाना नहीं हुआ था.

यह डैम के कारण हुआ था?
नहीं. तब डैम नहीं बना था.

बाढ़ में ही डूब जाता है. कम से कम तीन चार साल हो गया है. फसल डूबने का कोई मुवावजा नहीं मिलता है.

बाढ़ हर साल आती है?
हर साल आती है.

हर साल नहीं आता है. पिछले साल बाढ़ नहीं आई थी. लेकिन पिछले चार साल से मुवावजा वगैरह कुछ नहीं मिला.

तो जिन लोगों की जमीन जाएगी उन लोगों को मुवावजा देने की कोई बात हुई है?
अभी तो बोला है देंगे. अभी आठ दिन पहले ही रायपुर गये थे.

आप अकेले गए थे या गाँव वाले..
नहीं, मैं नहीं गया था मेरे चाचा लोग गए थे. हमारे गाँव से तो एक ही लोग गए थे, बाकी जो नीचे वाले गाँव के लोग 6-7 जीप में गए थे.

कौन सा गाँव है?
साराडीह और जशपुर, वहां भी एक डैम बन रहा है. वो अभी डैम बनाने नहीं दे रहे हैं. गाँव वालों का कहना है कि तुम पहले हमारा मुवावजा दो तो हम अपनी जमीन देंगे. और हमारे गाँव वालों ने बैराज को बनने दिए, तो अब कुछ नहीं हो सकता है.

बनने दे दिया का क्या मतलब है? गाँव के सरपंच से या और किसी से कोई परमीशन माँगा था?
माँगा था.

अच्छा माँगा था.

हाँ, मांगे थे. तो हम लोगों ने कहा कि इस मरघटी वाले रोड को गाँव के किनारे किनारे ले जाओ.

और इसी के साथ जमीन को ढाई हजार प्रति डेसीमल के हिसाब से ले लो. कम से कम हमारा गाँव तो डूबने से बच जाएगा,

लेकिन वे लोग नहीं माने. एक ‘साहब’ ने बोला कि गाँव में की गली में रोड आएगा तो बच्चों के एक्सीडेंट होने का खतरा बना रहेगा, ऐसा होगा वैसा होगा.. हमने उसको यह भी बोला कि हर गाँव रोड गया है तो वहां के बच्चे का तो एक्सीडेंट तो नहीं हो जाता है.

अभी यदि गाँव के नीचे-नीचे रोड चला जाता है तो हमारा गाँव सुरक्षित रहता है, लेकिन अपने मन का किया. गाँव में कई लोग हैं जो पैसा लेकर काम करते हैं. अभी हम लोग हड़ताल के लिए डभरा ब्लाक में गए थे.

हड़ताल किस किस लिए?
यहीं के बाढ़ के.

आप कब गए थे?
तारीख तो पता नहीं है लेकिन करीब 20-15 दिन तो हो गया होगा. हम लोग रात भर एसडीम के ऑफिस के बाहर रहे थे, खाना-पानी सभी वहीं पर हुआ. पूरी रात गाना-बजाना हुआ.

तो एसडीएम बोला कि, ‘हम भी किसान हैं, जो आपकी जमीन डूब रही है उसका मुवावजा दिलाएंगे’. उसके बाद भी वे लोग (साराडीह के किसान) नहीं मान रहे थे, तो वहां से बोला कि आप लोग 40-50 की संख्या में आ जाओ, हम यही बात करेंगे. फिर वहां गए, तो एसडीम ने बोला कि कलेक्टर ने जांच का आदेश दे दिया है उसके बाद हम विचार-विमर्श करेंगे.

तो अभी तक कोई जांच वाला आया?
अभी तक नहीं आए हैं.

तो किसकी और कितनी जमीन जा रही है, इसका अभी तक कोई जांच नहीं हुआ है?
जांच नहीं हुआ है, डुबाव में जितनी जमींन है पटवारी ने उसका रिकार्ड बना लिया है. और अब तक वह शायद रायपुर भी पहुँच गया होगा.

किस रेट पर दे रहा है?
यह कोई पता नहीं है.

यह भी अंदाजा नहीं है कि आपकी या पूरे गाँव की कितनी जमीन जा रही है?
उनको सब पता है. पटवारी ने जो कागज़ जमा किया है वह रायपुर तक जाएगा, वहां से दिल्ली तक जाएगा.

लेकिन गाँव वालों को एक हद तक अंदाजा तो होगा कि मिरौनी की कितनी जमीन डुबान में आने वाली है?
सर्वे में मैं भी था, लेकिन मैं उतना पढ़ा नहीं हूँ.

एक अंदाजा..
कम से कम सौ एकड़ के आस-पास तो होगी ही.

और दूसरे गाँव की?
यह सीधे परसंदा तक गया है. पानी वहां तक जाएगा जहां तक यह पुल बना है. वहां से घूम कर पानी यहाँ आ जाएगा.

पूरे आधे गाँव की जमीन डूब जाएगी सिर्फ आधी बचेगी. यह बस्ती के किनारे की जमीन भी डूबेगी. पिछले साल भी डूबा था.

तो किसान क्या सोच रहे हैं? आप क्या सोच रहे हैं? कि मुवावजा मिल जाएगा यह सही या जमीन रहनी चाहिए?

क्या सही है? धरती माता चली जाएँगी तो हम क्या करेंगे?

अगर पैसा लेते हैं तो कहीं जमीन मिलेगी नहीं और पैसा जितना भी रखे रहें, वह दो-चार साल रहेगा. उसके बाद ऐसा खर्चा आ जाएगा कि अचानक सब ख़त्म हो जाएगा. और जमीन रहेगा तो...

कहीं जगह-जमीन दे देता तो अच्छा रहता.

पॉवर प्लांट के लिए डैम बन रहा है तो वहां पर कोई काम देने की बात नहीं हुई?

हम लोग बोले थे. जैसे हमारे परिवार में 16 लोग हैं, तो कम से कम एक दो आदमीं को नौकरी पर रख लेता, ऐसा बोले थे. और वो मुवावजा वगैरह देगा तो भी ठीक है. अब देखिये क्या होता है? रमण सिंह ने कहा है कि कलक्टर आएँगे और आदेश करेंगे.

लेकिन यह कब तक होगा?
इसकी कोई गारंटी नहीं है.

कांग्रेस, बीजेपी जैसी राजनैतिक पार्टियां कुछ नहीं कर रही हैं?
कोई कुछ नहीं कर रहा है. एक राजकुमार यादव हैं , जो ब्लाक में कुछ हैं, वही कुछ मदद कर रहे हैं.

नहीं तो कोई यह मुद्दा नहीं उठा रहा है.
यहाँ कोई यहाँ कोई नहीं है. गाँव के लोगों को कहो कि रायपुर चलना है, जीप का किराया हम देंगे तो नहीं जाएंगे, कहेंगे कि काम है. अगर सभी डूबने वाली जमीन के लोग आ जाएं तो मेला लग जाएगा.

तो जिनकी जमीन ऊपर है उनको क्या फ़ायदा होगा?
वहां के कुवें में पानी का लेबल कम है.

अब जब नदी में पानी ला लेबल बढ़ेगा तो वहां के पानी का भी लेबल बढ़ेगा, तो जो एक एकड़ में धान लगा रहा है अब वो दो-तीन एकड़ में धान लगाएगा, यह फ़ायदा है.

अभी ऊपर की तरफ जितनी भी जमीन है उसमें से किसान सिर्फ आधे में खेती करता है. तो आधा फ़ायदा है और आधा नुकसान.

सरकार बोल रही है कि यहाँ पीने के पानी की समस्या है, तो उसका फ़ायदा होगा?
नहीं पीने के पानी की तो कोई समस्या नहीं है. यहाँ सभी हैडपंप अच्छा पानी देते हैं.

पीने के पानी की कमी नहीं है.

हमारे यहाँ फायदा पहले भी बहुत था. यहाँ के किसान नदी में साग-सब्जी सालन वगैरह सब उगाते थे. अब पानी होने से सब ख़त्म हो जाएगा.

नदी में लगाते थे?
हाँ. रेत में नाली बना देते थे और थोड़ी-थोड़ी मिट्टी डालकर उसमें लगा दी जाती थी, पानी देने की जरूरत ही नहीं होती थी. इसमें कई चीजें लगाते थे, लेकिन अब यहाँ यहाँ...

यह सब जाएगा?
हाँ. अब किनारे पर लगाई जाने वाली ही सब्जी मिलेगी.

यहाँ पर जो मजदूर काम करते हैं वह गाँव के हैं? आप बोल रहे थे कि एक-दो ही हैं.

गाँव से एक-दो नहीं बल्कि हमारे घर के एक-दो लोग काम करते हैं. गाँव में सभी घर से एक-दो लोग काम करते हैं. हमको काम पर नहीं लगाया. गाँव में तो ऐसा होता रहता है. हम परिवार में 16 लोग हैं, तो हम सभी लोगों को काम पर कैसे लगा सकते हैं? हमारे तीन भाई हैं जिसमें मझला भाई रोज जा रहा है, बड़ा लड़का है तो वह भी गाड़ी में डेली जा रहा है, बाकी दो लडके ट्रैक्टर में जा रहे हैं, दो पढ़ रहे हैं, बाकी एक-दो किसानी में हैं.

लेकिन यह जब तक बन रहा है तभी तक काम मिलेगा?

कंपनी की तरफ से काम मिला है या ठेकेदार की तरफ से?
यह तो हमें पता नहीं है. शायद ठेकेदार की तरफ से लिया गया है. कंपनी की तरफ से हेल्फर वगैरह होंगे, बाकी ठेकेदारी से चल रहा है.

आपका नाम क्या है?
कालाराम.

और आपका?
हरिराम.

आपका नाम क्या है?
राधेश्याम उपसरपंच.

आप उपसरपंच हैं?
हाँ.

तो एक ही गाँव के लोग गए थे या दो-तीन गाँव के लोग भी गए थे?
कई गाँव से लोग गए थे.

साराडीह, जहां पर दूसरा बैराज बन रहा है, यहाँ से कितना दूर होगा?
यहाँ से 30 किमी नीचे होगा.

76 आदमी पांच गाड़ी में गए थे.

और वहां पर किससे मिले थे?
मुख्यमंत्री से.

तो कब तक मुवावजा मिलेगा यह तय नहीं हुआ है?
अभी नहीं बताया है.

क्योंकि बैराज तो एक साल में बन जाएगा?
हाँ वह तो बन जाएगा.

और एक बार बन जाएगा तो डूब भी जाएगा.
हां वह तो डूबेगा.

तो अभी मुवावजे की कोई बात नहीं चल रही है?
नहीं.

कुछ बातचीत चल भी रही है या नहीं?
बातचीत तो चल रहा है लेकिन मुवावजा के बारे में अभी कुछ भी तय नहीं हुआ है. साराडीह के लोग मांग किए हैं कि 20 हजार रुपया प्रति डेसीमल मिलना चाहिए.

आपकी भी जमीन डूब रहा है?
हां डूब रहा है.

कितना?
एक एकड़ से ज्यादा ही डूबेगा. डेढ़ एकड़ हो जाएगा.

उसमें धान होता है?
हां.

आपका कितना जमीन है?
एक एकड़.

इधर सभी का डूबता है.

तो आपलोग रायपुर मुवावजा माँगने के लिए क्यों नहीं गए थे?

जानकारी देर से मिली थी. दो बजे रात को बोला था चलने के लिए.

तो आप लोग किसानी के साथ-साथ बाहर काम करने भी जाते हैं.
हाँ, जाते हैं.

तो आस-पास किसी को मुवावजा मिला है जिसकी जमीन डूबी है?
अभी किसी को नहीं मिला है.
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