033: Nariyara interview in Mandi
Cinematographer: Sunil Kumar
Duration: 00:04:28; Aspect Ratio: 1.778:1; Hue: 51.433; Saturation: 0.099; Lightness: 0.390; Volume: 0.172; Words per Minute: 104.680
Summary: बरसाती लाल चंद्रा, जो कि सरकारी धान के खरीददार हैं और इस मंडी से लगभग 45000 कुंतल धान की खरीददारी कर सरकारे गोडाउन में भेज रहे हैं। यह सिर्फ तीन गावों की एक बार ली गयी फसल का आंकड़ा है। वहीं के एक ग्रामीण के अनुसार यह मंडी मिरौनी बैराज बनाने के बाद डूब में आ जाएगी। और इसी के साथ लगभग 1000 एकड़ (एक अनुमान) खेती वाली जमीन भी डूब क्षेत्र में आने आ जाएगी। हालांकि सरकारी इंजीनियर इससे इनकार कर रहे हैं। लेकिन इनका कहना है कि जब साधारण बरसात में यह जमीन कुछ हफ़्तों के लिए डूब जाती है तो बैराज बनने के बाद तो ढलान वाली जमीन हमेशा पानी में डूबी रहेगी। जिसमें की यह मंडी भी आती है। इनका मानना है कि सरकार लोगों को गुमराह कर रही है। अभी तक कितनी जमीन डूब में जा रही है इसका कोइ ठीक-ठीक सर्वे अभी तक नहीं हुआ है। और जब कोई सर्वे नहीं हुआ है तो मुवावजे की भी कोई बात नहीं हुई है। वैसे जल संसाधन विभाग, बिलासपुर से R.T.I. द्वारा निकाले गए डॉक्यूमेंट में डूब क्षेत्र को शून्य बताया गया है।

Nariyara Mandi

आपका नाम?

बरसाती लाल चंद्रा.

कितने गाँव का धान आता है?
तीन गाँव का.

कौन-कौन से?
नरियरा, मोड़पार, मिरौनी.

कितने समय तक आता है?
सुबह छ: से शाम के छ: बजे तक.

किसान खुद ले आकर बेचते है?
हां सर, किसान ही लाते हैं.

और यहाँ से गोडाउन में जा रहा है?
हां, गोडाउन में जा रहा है.

किस-किस तरह का धान होता है यहाँ पर ?
मोटा और पतला.

मतलब दो तरह का?
हां सर.

यह सरकार खरीद रही है.
हां.

तो कितना कुंतल लगभग एक सीजन में हो जाता है?

यहाँ से तो लगभग 45,000 कुंतल हो जाता है.

फिर इस मौसम में जो धान लगेगा वह भी फिर यहाँ से ही जाएगा.
नहीं-नहीं, खाली बरसात के समय का ही.

यानी इस सीजन का बाजार में बेचते हैं?
हां.

कैसे रेट जा रहा है?
जैसे मोटा का 1250 रूपए/ कुंतल और पतला का 1280 रूपए/कुंतल.

ज्यादातर मोटा आता है या पतला भी आता है?
मोटा ही आता है पतला खाने के लिए रखते हैं.

ये जो मिरौनी का बैराज बन रहा है, इसमें बहुत सारा धान का खेत भी जाएगा? क्या यह भी डूब जाएगा?
हां, डूब तो जाएगा.

कोई बता रहा था कि यह भी बाढ़ के अन्दर आ जाएगा?

यह तो बाहर वाले हैं सर, अब यहाँ के लोग यह सब जानेगे. नरियरा वालों से या मैरौनी वालों से पूछेंगे तो उनको पता होगा. यह तो बेचारे शक्ति तहसील के किनारे के हैं.

उसके बारे में इसको मालूम होगा.

आप बताइये. बैठिये और बताईयिए इसके बारे में.

ये तो पूरा डुबान में आएगा, सर.

तो इस केंद्र (centre) का क्या होगा.

अब जनता जागरूक रहेगी तो इसके लिए हड़ताल करना पडेगा.

नहीं तो शासन हम लोगों को यहाँ से भगा देगा. अब इतना तो हमको नहीं मालूम है लेकिन सरकार बैराज बनवा रही है तो कुछ तो व्यस्था की होगी.

बरसात में बाढ़ आएगी.

बरसात में बाढ़ आएगी तो भी तो काम नहीं होगा?

पूरा फसल का नुकसान होगा, जितनी अभी खेती हो रही है. हमारे यहाँ दो फसल होता है, तो हमारी नीचे वाली जमीन डुबान पर आ जाएगी. हम लोग सर्वे करने वाले इंजीनियर से पूछे थे कि यह जमीन डुबान में आएगी? तो बोले, नहीं आएगी. और जब डुबान में आएगा तो उस समय क्या करोगे? ऐसे ही कहकर जनता को गुमराह कर रहे हैं.

मतलब कि कोई ठोस जानकारी नहीं है? कि कौन सा हिस्सा डुबान में आएगा और कौन सा नहीं?
नहीं.

कब तक बन जाएगा?
अगले साल तक पूरा कर लेंगे.

तो लगभग कितने लोगों की जमीन डुबान में आ रही है? इस तरह की कोई जानकारी है?

लगभग कहें तो इसमें 200 किसान का डुबान में जा रहा है.

हां, एकड़ में लगभग कितना जाएगा?

लगभग एक हजार एकड़ के करीब फंस जाएगा.

तो उसका मुवावजा? क्या सरकार जमीन खरीद चुकी है या इस साल भी फसल हो रहा है?
फसल हो रहा है, अभी खरीदे नहीं हैं.
मतलब अब खरीदेंगे?
अब देखिये उनकी योजना क्या है? हम लोगों को तो अभी बता नहीं रहे है. माह लोगों को इसकी जानकारी नहीं है.
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