018: Odekera land losers and their investments
Cinematographer: Sunil Kumar
Duration: 00:16:20; Aspect Ratio: 1.778:1; Hue: 41.614; Saturation: 0.056; Lightness: 0.354; Volume: 0.277; Cuts per Minute: 0.796; Words per Minute: 92.098
Summary: ओड़ेकेरा गाँव के लोग इस बात से गुस्से में हैं कि उनकी दो फसली और पूरी तरह सिंचित खेती वाली जमीन को बंजर जमीन कहकर कम मुवावजा दिया गया है। और अब कंपनी जिसकी जमीन गयी है उसको हाजिरी लगाने के 170 रुपया प्रति दिन के हिसाब से देती है। गाँव के कुछ लोगों को उनकी जमीन का मुवावजा मिला ही नहीं है। एक महिला 'घसिनी देवी' जिनकी जमीन कंपनी ने ले ली है लेकिन उसके बदले कोई काम नहीं दिया है। जिस जमीन पर कंपनी आई है वह खेती के साथ चारागाह की भी जमीन थी जहां पर कि सिंघिताराई और ओड़ेकेरा गाँव के जानवर चरा करते थे। गाँव वालों का कहना है कि लाखों की संख्या में पेड़ काटे गए लेकिन उनका कोइ मुवावजा किसी को नहीं मिला है, जबकि कंपनी के R.R Plane के अनुसार यह मुवावजा मिलना चाहिए था।

Odekera

आपका नाम?

मेरा नाम नवीन चौहान है.

आप कहाँ के रहने वाले है?
ओड़ेकेरा, जिला जांजगीर.

ओड़ेकेरा पंचायत है?
हाँ जी.

सरपंच का क्या नाम है?
गजानंद लहरे.

तो ओड़ेकेरा की भी जमीन इस प्लांट में गयी है?
हाँ गयी है.

प्लांट का नाम क्या है?
एथेना पॉवर प्लांट.

आपकी कितनी जमीन गयी है?
यही करीब एक एकड़.

पैसा किस हिसाब से दिया है?

10 लाख रुपया प्रति एकड़. पहले तो ढाई लाख प्रति एकड़ लिए, फिर गाँव के लोग हड़ताल, हंगामा किए तब 10 लाख किया. जबकि यहीं जांजगीर जिले में ही दूसरा वर्धा प्लांट है, जहां पर 18-19 लाख प्रति एकड़ दिया गया है.

समझ में नहीं आता कि यहाँ पर कैसे दिया है? जबकि वही जिला है?

तो इस प्लांट के आने के बाद आपको क्या लग रहा है? ख़ास तौर पर प्रदूषण की क्या स्थिति है?

प्रदूषण तो बहुत ज्यादा है. सबसे पहले प्लांट आया तो जितने जमीन गयी है उतने पर के पेड़ को काट दिया गया है. ताजी हवा नहीं मिलती, ट्रक वगैरह भी चलने लगी है. उससे दुर्घटना की आशंका भी बढ़ गयी है. देख तो रहे ही हैं कि रोड की पूरी स्थिति खराब है और जमीन भी चली गयी है.

तो अभी प्लांट में हाजिरी लगाने के लिए बुलाते हैं?
बस हाजिरी के लिए.

हाजिरी के बाद काम धाम नहीं देते हैं?

बोला रहे हैं देंगे. लेकिन अब क्या पता कब देंगे, कोई ठिकाना नहीं है.

आपको क्या लगता है काम देंगे?

देंगे तो ठीक है, मैं तो पढ़ा-लिखा हूँ, मैंने भी बी.कॉम किया है अच्छा लगेगा. बाकी इधर कोई पढ़े नहीं है. बस पांचवीं, आठवीं, तक पढ़े हैं. उन लोगों को तो सिर्फ धोखा मिलेगा.

कंपनी नौकरी के नाम पर धोखा देगी और ठगेगी. इनको क्या काम देगी.

आपकी भी जमीन गयी है?
हाँ.

आपकी कितनी जमीन गयी है?
दो भाई के बीच तीन एकड़ गयी है.

आपका नाम क्या है?
लखपति.

तो अभी क्या स्थिति है? क्या लग रहा है आपको?
ठीक ही बोल रहा है यह.

मतलब हम लोगों के भविष्य का कोई ठिकाना नहीं है. हम लोगों को खुद अपने भविष्य की चिंता है कि भविष्य में कंपनी और क्या करेगी? कुछ तो कर नहीं रही है.

यह कंपनी पूरी खेती वाली जमीन पर बनीं है?
पूरी.

पूरी दो फसली वाली जमीन पर बनीं है.
कई कुंतल धान होता था. पूरा पहाड़ लग जाता था. लेकिन कोई मतलब नहीं नहीं. और पूरा ठग कर ले ली है.

अरे सब नेता लोग ठग-ठगी किए हैं.

हम लोगों को रेट भी बहुत कम दिए हैं.
10 लाख का रेट दिए हैं जबकि हमारी बढ़िया जमीन थी.

जबकि इसी जिला में वर्धा प्लांट में 19 लाख प्रति एकड़ दिए हैं.

हम लोग नहीं देने वाले थे, लेकिन प्रशासन जबरदस्ती भू-अर्जन लगाकर लूट ली है.

लूट है लूट.

हाँ, भू-अर्जन.

सरकार से लड़ाई थोड़े ही कर सकते हैं?

हाँ, सरकार से लड़ाई थोड़े ही कर सकते है?

पहले आप लोगों ने जमीन नहीं देने का विरोध किया था?
किया है, कई बार विरोध किया गया. लेकिन कागजी कार्यवाही में दबा दिया गया है.

इस जमीन को मैं सुना हूँ भाठा में लिखा दिया गया है.

हाँ, मतलब बंजर जमीन में लिखा दिया गया है.

देवाचंद्रा ने जमीन खरीदी है.

दलाल के जरिये, यह जो बता रहे है वह दलाल है.

दलाल? कौन है दलाल?
देवाचंद्रा.

तो अभी क्या लग रहा है? खेत तो चला गया?

क्या करेंगे सर! यह हमारे वार्ड के पंच हैं.

आप लोग को पैसा मिल जाएगा तो कुछ नहीं लिखिएगा.

अरे ये लोग तो पत्रकार हैं.

कोई भी कलक्टर आ कर जांच कर ले, हमारे यहाँ पूरी जमीन खेती वाली है.

मान लो लेना भी था तो दो फसली के नाम से लेना था.

डबल मुवावजा तो मिलना ही चाहिए.

तो क्या बंजर जमीन लिखवाया है?
हाँ, जिसे भाठा कहते हैं.
धान वगैरह जिसमें नहीं होता उसे भाठा बोलते हैं.

दो फसली में क्या-क्या लेते थे?

पूरा धान. पानी नहर से आता था, वहां पर नहर है पानी अभी भी चल रहा है, उसके बाद भी हमारे मंत्री लोगों को आंख से नहीं दिखा. एक भी बार विधायक नहीं आया है.

आपका नाम क्या है?
विजय राम वारे.

आप वार्ड पंचवार्ड हैं?
हाँ.

ग्राम पंचायत सिंघितराई के.
वार्ड नंबर तीन के.

आपके कितनी जमीन गयी है?

2 एकड़ 20 डेसीमल.

मेरा 7 एकड़ गया है.

आपका 7 एकड़ गया है?

भाठा, बहरा जमीन.
वह भी 10 लाख में?
पूरा 10 लाख के हिसाब से पेमेंट हुआ है, बहरा का भी वही पेमेंट हुआ है.

तो यह जमीन लेने वाला कौन था? क्या बताया था आपने?

देवचंद्रा.

तो अब क्या करेंगे?

मैं तो झोरापाली में ईंट बना रहा था, हम लोगों को वहां से देवचंद्रा लेकर आया.

अभी क्या है जिसका जमीन गया है उसको बैठाकर 170 रुपया मजदूरी दे रहे हैं.

कौन सी कंपनी से आए हैं आप?

कंपनी नहीं है.

पत्रकार है.

कौन पत्रकार?

इलाहाबाद से पढ़ने वाले छात्र हैं.

आपका नाम क्या है?

मेरा नाम घसिनी है.

आप क्या हैं?
लम्बरदार.

आपकी कितनी जमीन गयी है?
कितनी जमीन गयी है यह तो मैं नहीं जानती, मेरा बुड्ढा जानता है.

50 डेसीमल गया है.

काम नहीं मिला?
नहीं मिला है.

सब खेती वाली जमीन गयी है लेकिन काम नहीं मिला है?
कुछ भी नहीं मिला है.
तो अब क्या करेंगी?
क्या करेंगे? कुछ करेंगे.
मेरा नौ एकड़ जमीन गया है, लेकिन कुछ काम नहीं दिया है.

मेरा आदमी बैठ कर खा नहीं सकता है.
बीमार है बेचारा.
बीमार है और उसकी माँ मरने को है, अब मैं क्या करूं? कहाँ से पालूँ-पोसूं? मुझे कुछ नहीं मिला है.

एक बात यह बताईये कि अचानक यहाँ के लोगों के पास बहुत सारा पैसा आया तो उस पैसे का लोगों के क्या किया?
अभी कुछ नहीं किए हैं, बैंक में जमा किए हैं.

हिसाब करना है तो मुझसे करो.

हाँ तो आपने उस पैसे का क्या किया?

अंडी में और परसी में 95 डेसीमल खेत लिया हूँ, उसके बाद 85 हजार साईं प्रसाद में डबल-टिबल पर जमा कर दिया हूँ. उसके बाद यूनियन में 75 हजार लगाया हूँ, गाड़ी लिया हूँ.
सब पैसा ख़त्म.
पैसा कुछ बचा या सब ख़त्म?
सब ख़त्म.

आपने क्या किया उस पैसे का?

यह मेरा गाँव नहीं है, यह मेरा ससुराल है. और मैं यहीं रहता हूँ. मेरे ससुर की मृत्यु हो चुकी है. ससुर की एक ही लड़की है तो मैं ससुराल में ही रहता हूँ, और यहाँ बेरोजगार हूँ. सपना था कि ससुराल की जमीन गयी है तो नौकरी मिल जाएगी. लेकिन नौकरी तो केवल लम्बरदार को ही दिया रहा है. बाकी जितने लोग हैं सब बेरोजगार पड़े हैं. जब हिस्सेदार लोगों को नौकरी नहीं दिया जा रहा है, तो मैं तो यहाँ का दामाद हूँ. है कि नहीं? तो अपना क्या है, मेहनत मजदूरी करके चला रहे है. पढ़े-लिखे लोग तो हैं नहीं कि चलो कोई नौकरी मिल जाती. पढाई-लिखाई भी हमारी नहीं है, हम लोग पढाई में भी जीरो हैं और काम में भी जीरो हैं. कंपनी उसे को नौकारी दे रही है जिसके पास खाता है. खातेदारों को नौकरी दिया जा रहा है. बाकी लोगों की कोई वैल्यू नहीं है. चाहे उस एक खातेदार में हजारों की संख्या हो. उसमें केवल एक ही को ही नौकरी दिया जा रहा है. बाकी कटोरा लेकर भीख मांगो.

हिस्सेदार भी उसी जमीन में तो खेती करके जीवन-यापन कर रहा था.

हम लोगों के सात परिवार को सरकार ने भूदान में जमीन दिया था. अब उस जमीन को सरकार, कंपनी ने हड़प लिया है. मुवावजा हमको नहीं मिला है. हम गरीब आदमी हैं.
कितनी जमीन थी आपकी?

यह सात परिवार की जमीन थी जो भूदान में मिली थी. उसका कोई मुवावजा नहीं मिला.
ऐसे कितने परिवार हैं इस गाँव में? .
सात परिवार. हम रमण सिंह के पास भी गए थे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. आप बताइये क्या करें?

मुझे कम से कम मुवावजा मिलना चाहिए.

यहाँ कितने पेड़ थे?
बहुत थे, जंगल था, एक लाख कम से कम रहे होंगे. सभी पेड़ काट दिए गए, प्रभाव तो जरूर पडेगा.

और मैं यह कहना चाहता हूँ कि बेजा कब्जा यानी सामुदायिक जमीन को कंपनी ने कब्जा कर लिया है. हम पंचायत की तरफ से कई बार बोले, लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई.

आपका नाम?
मैं रूप लाल, वार्ड नंबर 9.

ग्राम सिंघितराई में यह जो कंपनी आई है, हमारी सभी जमीन हड़प ली है, और आज हमारे पास रहने की जगह भी नहीं है. इन्हीं सब के लिए जब कंपनी के पास जा रहे हैं तो कंपनी वाला कोई सुनवाई नहीं कर रहा है. अब हम जाएं तो कहाँ जाएं?, खाएं तो क्या खाएं? सभी पेड़ पौधे का कोई मुवावजा नहीं दिया है. वह भी हड़प के खा ली है. और अभी हम गाँव-गाँव भटक रहे हैं. हमारी कोई सुनवाई नहीं है, कोई तो कोई नौकरी दी ही और न ही कोई रहने की जगह. जिसकी जमीन नहीं ली गयी अहि उसको भी कोई नौकरी नहीं दिया है. कंपनी ने बोला था कि ‘एक पर्ची पर जिसका जिसका हिस्सा है सभी को लेंगे’ और आज जिसके नाम पर पर्चा है उसी आदमी को ले रहे हैं. अब हम पांच भाई हैं तो चार भटकते रहें? करें तो क्या करें?
जमीन दो फसली थी?
कहीं-कहीं दो फसली तो कहीं-कहीं एक फसली. गाँव की सामुदायिक जमीन को भी कम्पनी ने हड़प लिया है. अब हम गाय जानवर रखे हैं तो उसको पाले-पोसें कहाँ? पहले हम इसी में कमाते-खाते आ रहे थे, आज उद्योग लग रहा है तो हमारी कोई दुनावाई नहीं है. हम जाएं तो कहाँ जाएं? घर में दाना नहीं है, गाऊ लक्ष्मी के लिए दाना नहीं है.
आप क्या चाहते हैं?
जगह चाहते हैं. हमारे रहने के लिए व्यवस्था कर दे, पानी दे दे, लकड़ी दे दे, जमीन दे दे, अन्न दे दे. और कंपनी अपना उद्योग खोल ले.
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