009: RKM power plant views from stonebreakers house
Cinematographer: Sunil Kumar
Duration: 00:03:57; Aspect Ratio: 1.778:1; Hue: 46.458; Saturation: 0.100; Lightness: 0.383; Volume: 0.139; Cuts per Minute: 1.009; Words per Minute: 59.045
Summary: पहले चन्द्र प्रकाश बघेल के घर के पिछले दरवाजे से रोजगार (पथ्थरों वाली जमीन) दिखाई देता था अब कंपनी की चिमनी दिखाई देती है। पहले वह और उनकी पत्नी मिलकर इन पथ्थरों से अपने पूरे परिवार का भरण-पोषण आसानी से कर लिया करते थे अब वह कंपनी के मात्र 175 रूपए के दिहाड़ी मजदूर हो कर रह गए हैं जिसका कि कोई भविष्य नहीं है कि कब वह चली जाए।

Uchpinda

मेरे पास पत्थर और सिल-लोढ़ा भी है. अब यहाँ पर लकड़ी तोड़ रहे हैं, क्या करें अब जगह नहीं हैं. इसी से पत्थर तोड़ते थे. घन, सावर भी है. वहां सिल-लोढ़ा भी रखा हूँ.

TV_power plants

यही है अपनी रोजी रोटी. यह देखिए.

दिन भर में कितना तोड़ लेते थे?

अगर मन लग जाता था तो दिन भर में 7-8 तोड़ लेते थे. अभी एक सिल की कीमत 100-150 रुपया है. अगर ढंग से काम करें तो हम पति-पत्नी मिलकर दिन भर में 1000 रूपए कमा लेते थे.

अपने पास बहुत से सामान है.

दिन भर में कितना कर लेती हैं?
बहुत सारा. दिन भर की रोजी-रोटी निकल जाती है.

तो आप पत्थर तोड़ते है और ये पत्थर ......

छीनते हैं.

तो दिन भर में कितना?

दिन भर में कम से कम 10 से जयादा ही ऐसा बना सकती हैं.

तो एक यह (सिल) और लोढ़ा अभी कितने में बिकता होगा?

मैं जा रही हूँ, हो गया न.

कम से कम सौ रुपया का है. और हम इसे 10 तक बना सकते हैं तभी तो यह परिवार चल रहा है.

अब कंपनी के आने पर पूरा काम बंद हो गया. यह समझिये कि हमारा रोजगार छीन लिया गया. अब कंपनी कब रेगुलर करेगा पता नहीं. अभी तो 175 रूपए के रेट से दे रहे हैं. कोई ज्यादा नहीं है. ऊपर से 6 दिन का काम और रविवार की छुट्टी का कोई पेमेंट नहीं दिया जा रहा है. अब यहाँ पर कोई दूसरा काम भी नहीं है कि कर लें.
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